पार्लियामेंटPosted at: Jul 25 2017 4:08PM खेती घाटे का सौदा हो गया है: कांग्रेस
नयी दिल्ली 25 जुलाई (वार्ता) कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने सरकार पर नीतियों के जरिये किसानों का शोषण करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि देश में अब खेती घाटे का सौदा हो चुकी है। श्री सिंह ने देश में किसानों की समस्याओं के कारण उनकी आत्महत्या की घटनाओं में हो रही वृद्धि पर विभिन्न दलों के नोटिस पर राज्यसभा में अल्पकालिक चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि यह सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर रही है जबकि हकीकत यह है कि खेती अब घाटे का सौदा हो गयी है और अब यह लाभदायक कारोबार नहीं रह गया है। कभी देश के विकास में कृषि क्षेत्र का योगदान 50 फीसदी से अधिक हुआ करता था जो आज घटकर 15-16 फीसदी पर आ गया है। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में उदारीकरण से खाद्यान्नों के आयात में बढोतरी होने से भी किसानों पर दोहरी मार पड़ती है। उन्होंने कहा कि देश में किसानों की आत्महत्या एव उनमें असंतोष का बहुत बड़ा कारण आयात निर्यात नीति भी है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण समिति का दायदा बढ़ाने और उसमें कृषि से जुड़े सांसदों को शामिल करने की मांग करते हुये कहा कि जब किसानों की फसल तैयार थी तब इस सरकार ने नोटबंदी लाद दिया जिससे उस समय किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गौ माता की हत्या का विरोधी रही है जबकि वीर सावरकर ने गौ हत्या का पक्ष लिया था। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने गौ हत्या को लेकर नया कानून बना दिया है जिससे किसान परेशान हो गये हैं। अलाभकारी पशुओं को किसान बेचा करते थे लेकिन इस कानून की वजह से वे अब अपने अलाभकारी पशु बेच भी नहीं पा रहे हैं। उन्होंने नयी फसल बीमा योजना का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे बीमा कंपनियों को 15981 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला है जबकि किसानों ने मात्र 5962 करोड़ रुपये का दावा किया है लेकिन वास्तविक भुगतान दावे का मात्र 32 फीसदी है। 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बीमा कंपनियों के खाते में गयी है। श्री सिंह ने मोदी सरकार द्वारा बनायी गयी रमेश चंद समिति की सिफारिशों का लागू किये जाने की मांग करते हुये कहा कि अभी मात्र 6 फसलों का ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो पा रहा है जबकि इस समिति ने 22 फसलों की सिफारिश की है। इसके साथ ही फसल बीमा के स्थान पर मूल्य बीमा की बात कही गयी है जिसे लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्ज माफी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके कारण कोई किसान ऋण नहीं चुकाना चाहता है। व्यावसायिक बैंकों के कृषि ऋण माफ हो या नहीं लेकिन सहकारी बैंकों का कृषि ऋण माफ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब यह सरकार चंपारण अंदोलन का शताब्दी समारोह मना रही थी तभी मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर गोलियां चलाई जा रही थी। सरकार अब तक यह पता नहीं लगा सकी है कि गोलियां किसने चलायी थी। शेखर सचिन वार्ता