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बंसीलाल की वसीयत पर पौत्री श्रुति की याचिका अदालत ने खारिज की

भिवानी, 03 नवम्बर(वार्ता) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की वसीयत को लेकर उपजे विवाद का आज पटाक्षेप हो गया जब यहां की स्थानीय अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए उनकी पौत्री श्रुति चौधरी की गई याचिका खारिज कर दी।
सिविल जज(जूनियर डिवीजन) आशुतोष ने मामले में फैसला सुनाते हुये बंसीलाल के पुत्र पूर्व विधायक रणबीर सिंह महेंद्रा द्वारा पेश की गई ट्रस्ट की वसीयत को सही बताया। सुश्री चौधरी ने अपनी याचिका में कहा था कि छह जून 2004 को उसके पिता सुरेंद्र सिंह और दादा चौधरी बंसीलाल ने संयुक्त रूप से एक वसीयत उसके हक में की थी। जिसमें
उसे कोठी समेत अन्य सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बताया गया था। उसने कहा कि यही वास्तवित वसीयतनामा है।
वहीं दूसरी तरफ श्री महेंद्रा ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि 19 जुलाई 2005 में चौधरी बंसीलाल ने चंडीगढ़ के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में एक वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराया था जिसमें कहा गया कि उनकी सम्पत्ति की हकदार उनकी पत्नी श्रीमती विधा देवी हैं। चौधरी बंसीलाल की मृत्यु के उपरांत विधा देवी ने पति और अपनी स्वयं की सम्पत्ति को मिलाकर चौधरी बंसीलाल मैमोरियल ट्रस्ट का गठन किया। विधा देवी स्वयं उसकी प्रधान बनी और इसमें पारिवारिक सदस्यों को भी शामिल किया गया। इसी वसीयत को श्रुति चौधरी ने अदालत में चुनौती दी थी और बंसीलाल की सम्पत्ति पर अपना हक जमाया था। जिस पर अदालत में लम्बी सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की तरफ से अदालत में कई गवाहियां भी कराई गईं।
श्री महेंद्रा की ओर से अदालत में पेश हुए वकील अविनाश सरदाना ने बताया कि जज ने मामले में फैसला सुनाते हुये सुश्री चौधरी की याचिका आज खारिज कर दिया तथा श्री महेंद्रा द्वारा प्रस्तुत की गई वसीयत को असली करार दिया। अदालत ने कहा कि श्रुति चौधरी द्वारा प्रस्तुत की गई वसीयत रजिस्टर्ड नहीं है जबकि दूसरे पक्ष ने रजिस्टर्ड वसीयत प्रस्तुत की है। इसलिए यह सम्पत्ति चौधरी बंसीलाल मैमोरियल ट्रस्ट की ही रहेगी।
सं.रमेश2013वार्ता
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