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इनेलो में कलह से गठबंधन पर खतरे के बादल, अभय मिले मायावती से

जींद, 06 नवम्बर(वार्ता) इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) में मचे हंगामे के चलते बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के साथ हुये गठबंधन पर संकट के बादल छा गए हैं।
बदले हुए हालातों में मंगलवार को दीपावली की शुभकामनाएं देने के बहाने नेता इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। यह मुलाकात महज पांच से सात मिनट चली। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। इनेलो-बसपा गठबंधन शुरू से ही चर्चा में है। इस गठबंधन के माध्यम से दलित वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कवायद में लगे श्री चौटाला ने गोहाना रैली में सुश्री मायावती के शामिल होने का दावा किया था। श्री चौटाला के दावों की उस समय हवा निकल गई जब बसपा सुप्रीमो गोहाना रैली में शामिल नहीं हुई।
इस रैली में ओम प्रकाश चौटाला ने बसपा अध्यक्ष की ओर से दी गई पगड़ी तो अस्वीकार कर दी लेकिन दलित वोट बैंक की मजबूरी के चलते उन्होंने सुश्री मायावती को भावी प्रधानमंत्री करार दिया था।
अब चौटाला परिवार में कलह से बदले हुए हालातों में एक बार फिर से इनेलो-बसपा गठबंधन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गत कई दिनों से इस बात की अटकलें जोरों पर हैं कि मायावती इनेलो में छिड़े इस विवाद के चलते उसके साथ गठबंधन जारी रखने के पक्ष में नहीं है। इसके बावजूद श्री अभय चौटाला सब कुछ सामान्य होने की बात कर रहे हैं।
आम जनता और मीडिया में गठबंधन के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने के चक्कर में इनेलो के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे ने मंगलवार को सोशल मीडिया में अभय चौटाला और बसपा अध्यक्ष की संयुक्त बैठकों का हरियाणा में कार्यक्रम भी घोषित किया। इस बीच श्री अभय चौटाला ने सुश्री मायावती से मुलाकात की। बताया जाता है कि दीपावली के अवसर पर हुई इस मुलाकात के दौरान बसपा सुप्रीमो ने अभय सिंह को मुलाकात के लिए अधिक समय नहीं दिया। बेहद संक्षिप्त मुलाकात के दौरान श्री अभय चौटाला ने इस पूरे विवाद पर मायावती को सफाई दी है।
सूत्रों के अनुसार मायावती अब इस गठबंधन पर पुनर्विचार करने के मूड में है जिसके चलते वह अगले सप्ताह बैठक बुला सकती हैं।
इनेलो-बसपा गठबंधन में असल विवाद की जड़ विधानसभा में कांग्रेस विधायक करण दलाल और अभय सिंह चौटाला के बीच हुआ जूता प्रकरण है। इस विवाद के बाद करण श्री दलाल ने सुश्री मायावती को एक पत्र लिखकर न केवल पूरे घटनाक्रम के बारे में अवगत कराया बल्कि उन्होंने गठबंधन पर पुनर्विचार का भी आग्रह किया था। बताया जाता है कि श्री दलाल ने बसपा सुप्रीमो के दरबार में अपने सम्पर्कों के माध्यम से इस गठबंधन पर दोबारा विचार के लिए दबाव डलवाया और बताया जाता है कि इसी के चलते सुश्री मायावती गोहाना रैली में शामिल नहीं हुई।
सं.रमेश1921वार्ता
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