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केन्द्र तथा हरियाणा की सरकारें सबसे अधिक किसान विरोधी :योगेंद्र यादव

जींद़ ,15 नवंबर (वार्ता) स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने मोदी सरकार और हरियाणा की मनोहर लाल सरकार को अब तक की सबसे अधिक किसान विरोधी सरकारें करार दिया है।
उन्होंने कहा कि इन दोनों किसान विरोधी सरकारों ने किसानों के साथ बहुत बड़े धोखे किए हैं। किसान को अपना हक लेने के लिए अब एकजुट होना होगा। देश भर के 201 किसान संगठन 29 नवंबर को मिलकर दिल्ली में रैली और प्रदर्शन करेंगे।
श्री यादव आज यहां किसान संगठनों को लामबंद करने तथा दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन और रैली के सिलसिले में संपर्क साधने आये थे ।बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जून 2017 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुए किसान आंदोलन में किसानों पर गोलियां चली थी। तब इसके विरोध में 100 से ज्यादा किसान संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले एकजुट हुए थे। इनकी संख्या बढ़कर 201 हो गई है। यह तमाम संगठन 29-30 नवंबर को दिल्ली में रैली और प्रदर्शन करेंगे।
श्री यादव ने कहा कि मोदी सरकार से किसानों के तमाम कृषि ऋण माफ करने और ऋण मुक्ति आयोग का गठन करने की मांग की जायेगी । यह आयोग इस बात को सुनिश्चित करेगा कि किसान फिर कर्ज में नहीं डूबे और कहीं किसान कर्ज में डूबता है तो उसे कर्ज से उबारा जाए। ऐसा बिल साल 2006 में केरल में बना था। इसमें कुछ संशोधन कर यह बिल निर्दलीय एमपी राजू शेट्टी ने संसद में रखा है।
उन्होंने कहा कि एक और बिल संसद में रखकर किसानों को उनकी फसलों के वाजिब दाम की गारंटी दिए जाने को लेकर राजू शेट्टी ने पेश किया हुआ है। इस बिल में मांग की गई है कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को कानूनी दर्जा दिया जाए।
श्री यादव ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट किसानों के लिए लागू नहीं की। भाजपा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के नाम पर किसानों से बड़ा धोखा किया है। मोदी सरकार कहती है कि उसने खरीफ फसलों से किसान को उसकी आय डेढ़ गुणा बढ़ाकर देने का काम किया है । सच्चाई यह है कि केन्द्र ने सी टू प्लस 50 प्रतिशत फार्मूला फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने में लागू किया है। इसमें संपूर्ण लागत नहीं जोड़ी गई है। संपूर्ण लागत जोड़ी जाती तो धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1750 की बजाय 2340 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित होता।
उनके अनुसार केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस मामले में किसानों के साथ डांडी मारने का काम किया है। अब किसान को अपने हकों के लिए एकजुट होकर दलगत राजनीति से उपर उठकर संघर्ष करना होगा। इस संघर्ष के बिना किसान को कुछ मिलने वाला नहीं है।
श्री यादव ने कहा कि हरियाणा में इस साल बाजरे की खरीद में सरकार ने बड़ा खेल खेला है। सरकार ने कहा कि बाजरे का एक-एक दाना समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। हकीकत में सरकार ने महज 16 लाख क्विंटल बाजरे की खरीद की। हरियाणा की मंडियों में इस साल 62 लाख क्विंटल बाजरे की आवक हुई। किसान को केवल 1350 रुपये प्रति क्विंटल का भाव बाजरे को लेकर मिला। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने 1900 रुपये निर्धारित किया गया था।
सं शर्मा विक्रम
वार्ता
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