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ओसीडी के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ी:डॉ. मक्कड़

अमृतसर 22 जनवरी (वार्ता) प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत मक्कड़ ने मंगलवार को कहा कि 15 से 20 वर्ष आयु के युवा तेजी से मानसिक रोग ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसआर्डर (ओसीडी) के शिकार हो रहे हैं।
डॉ मक्कड़ ने कहा कि यदि आपका बच्‍चा भ्रम की स्थिति में ज्यादा रहे और एक ही काम को बार-बार करता दिखे तो सजग हो जाएं। वह मानसिक रोग ओसीडी से पीडि़त हो सकता है। उन्होने कहा कि बड़ों की यह बीमारी अब 15 से 20 आयु वर्ग में भी होने लगी है। उन्होने कहा कि 25 साल व उससे अधिक उम्र के लोगों में यह रोग होता है, लेकिन अब 20 साल के युवाओं को भी यह रोग अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
डॉ. मक्कड़ ने कहा कि पीजीआइ चंडीगढ़ सहित देश के 16 संस्थानों के साथ मिलकर किए गए अनुसंधान में यह सच सामने आया है। उन्होने कहा कि इस मानसिक रोग में लोग भ्रम की स्थिति में रहते हैं। वह बार-बार एक ही काम करते हैं फिर भी भरोसा नहीं होता कि ठीक किया है। जिन 945 मरीजों पर यह शोध हुआ उनमें 20 प्रतिशत बच्‍चे सात साल से 13 साल के बीच के थे। इन्होंने बीमारी के तीन साल बाद इलाज शुरू किया। यही नहीं इनमें 60 प्रतिशत पुरुष थे और 58 प्रतिशत शहरी थे।
डॉ मक्कड़ ने कहा कि ब्रेन में सिरोटोनिन रसायन कम होने से यह बीमारी होती है। यह अनुवाशिंक भी होती है और सिंड्रोम इंफेक्शन से भी हो सकती है। रोगी निरर्थक विचारों को मालूम होने के बावजूद उन पर अमल करता है। इस रोग में व्यक्ति बार-बार हाथ धोने लगते हैं या कपड़े साफ करते हैं। ताला या गैस बंद करने के बावजूद भी बार-बार चेक करते हैं कि बंद हुआ या नहीं। एक ही काम बार-बार करते हैं। ब्रेन का आरबिटो फ्रंटल कारटेक्स एरिया नहीं करता काम
ब्रेन के आगे का आरबिटो फ्रंटल कारटेक्स एरिया जो कि हमारे सोचने, समझने, सामाजिक जीवन जीने और कठिन काम करने की क्षमता विकसित करता है, वह काम नहीं करता। जानबूझकर रोगी गलती करता है।
ठाकुर.संजय
वार्ता
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