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बजट में ऊर्जा क्षेत्र के लिए उचित प्राविधान की जरूरत

जालंधर 31 जनवरी (वार्ता) देश के ऊर्जा क्षेत्र में सुधार लाने और पुराने ताप संयत्रों को बंद होने से बचाने के लिए वर्ष 2019-20 के लिए पेश होने जा रहे बजट में ऊर्जा क्षेत्र के लिए विशेष प्राविधान करने की आवश्यकता है।
पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडीएस) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा| देश में लगभग दो लाख मेगावाट क्षमता के पुराने बिजली घरों को पर्यावरण के इन माप दंडों का पालन करना होगा जिस पर प्रति मेगावाट एक करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा| इन बिजली घरों को बंद होने से बचाने के लिए बजट में इस बाबत स्पष्ट प्राविधान किया जाना चाहिए| पुराने बिजली घरों की फिक्स कास्ट नगण्य होने से इनकी उत्पादन लागत बहुत कम आती है अन्यथा की स्थिति में बढ़े टैरिफ का बोझ आम जनता पर ही पड़ेगा| उत्तर प्रदेश के सबसे सस्ती बिजली देने वाले आनपारा ए और बी बिजली घर भी इन मापदंडों को पूरा न कर पाने की स्थिति में इन्हें बंद करना पड़ेगा।
वर्ष 2018 में बिजली के क्षेत्र में सबसे महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री हर घर सहज बिजली अर्थात सौभाग्य योजना पूरे जोर शोर से चलाई गई है| इस योजना के तहत लगभग पांच करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमे 90 प्रतिशत घर केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में थे| अकेले उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत 01.57 करोड़ घरों तक 31 दिसंबर 2018 तक बिजली पहुंचानी थी किन्तु सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 93 लाख घरों तक ही बिजली पहुंचाई जा सकी है | अब इस योजना को यह कहा जा रहा है कि सभी इच्छुक घरों तक बिजली पहुंचा दी गई है| इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर बिजली नेटवर्क को देखते हुए 2019 के बजट में समुचित वृद्धि किये जाने की जरूरत है जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके |
पंजाब राज बिजली बोर्ड के अधिकारी विनोद गुप्ता ने यूनीवार्ता को बताया कि बिजली सेक्टर में दूसरी बड़ी चुनौती लाइन हानियों को 15 फीसदी से नीचे लाने की है| देश के अधिकांश राज्यों में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मीटर के बिजली कनेक्शन चल रहे हैं जिससे बिजली की खपत पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है क्योंकि ऐसे उपभोक्ताओं को फिक्स टैरिफ देना होता है तथा उसका बिजली के वास्तविक उपभोग से कोई सम्बन्ध नहीं होता| ऐसे में यह जरूरी होगा कि सबको 24 घंटे बिजली देने के पहले शत प्रतिशत मीटरिंग सुनिश्चित की जाये| मीटरिंग ऐसा महत्वपूर्ण पहलू है जिसके लिए बजट में राज्यों को समुचित मदद का प्राविधान किया जाना चाहिए ।
कई ऐसे राज्य हैं जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूब वेल और घरेलू बिजली आपूर्ति के फीडर अलग नही किये गए हैं जिससे लाइन हानि बढ़ती है क्योंकि ट्यूब वेल को 24 घंटे बिजली की जरूरत नहीं होती किन्तु अलग फीडर न होने के कारण ट्यूब वेल को भी पूरे समय बिजली देनी पड़ती है| फीडर सेपरेशन के लिए भी बजट में समुचित प्राविधान जरूरी है|
केंद्र सरकार की ओर से ताप बिजली घरों पर लगाया गया क्लीन एनर्जी सेस 400 रुपये प्रति टन घटाकर रु 100 प्रति टन किया जाये जिससे बिजली की दरों में कमी आएगी और उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ काम होगा| इसके अलावा बजट में यह प्राविधान किया जाये कि निजी घरानों की स्ट्रेस्ड असेट और बिजली क्रय करार पुनरीक्षित किये जाने से बिजली टैरिफ बढ़ने का बोझ आम जनता को न उठाना पड़े|
अगले दो वर्षों में एक लाख 75 हजार मेगावाट की नई उत्पादन क्षमता सोलर, विन्ड और अन्य गैर परंपरागत क्षेत्रों में जोड़ी जानी है| गैर परंपरागत क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता का पूरा सदुपयोग हो सके इस हेतु चार्जिंग इन्फ्रा स्ट्रक्चर और स्टोरेज इन्फ्रा स्ट्रक्चर की जरूरत होगी जिस पर प्रति यूनिट पांच से सात रुपये तक का खर्च आएगा जिसका बजट में समुचित प्रावधान किया जाना चाहिए।
ठाकुर.संजय
वार्ता
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