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ईंट भट्ठा चलाने की मांग को लेकर मजदूर उतरे सड़कों पर

हिसार, 01 फरवरी (वार्ता) हरियाणा में सिंपल ईंट भट्ठे चलाने की अनुमति दिलाने की मांग को लेकर आज हिसार, फतेहाबाद, सिरसा समेत कई जिलों के भट्ठा मजदूरों ने हिसार में सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया।
विभिन्न जिलों से आए भट्ठा मजदूर यहां के क्रांतिमान पार्क में इकट्ठा हुए और रोष सभा करने के बाद प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय परिसर पहुंचे।इन मजदूरों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर मांग की गई कि प्रदेश में सिंपल ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से दिलाई जाए ताकि लाखों मजदूरों की रोजी रोटी पर आया संकट टाला जा सके।
भट्ठा मजदूरों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि पांच फरवरी तक इस मांग को नहीं माना गया तो सात फरवरी को भट्ठा मजदूर बड़े आंदोलन का बिगुल बजाते हुए जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त कार्यालयों के बाहर अनिश्चितकालीन पड़ाव डाल देंगे।
सेंट्रल ट्रेड यूनियन (सीटू)के प्रदेश उपाध्यक्ष कामरेड सुरेश कुमार ने प्रदर्शनकारी भट्ठा मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में ईंट भट्ठे लघु उद्योग की श्रेणी में आते हैं। इन भट्ठों को दिसंबर से 30 जून तक चलाया जाता है। बरसात के मौसम में इनको बंद कर दिया जाता है। इस प्रकार सात महीने ईंट भट्ठा चलने के सीजन में हरियाणा, यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान के लगभग छह लाख मजदूरों को ईंट भट्ठों पर रोजगार मिलता है।
उनके अनुसार इस ईंट भट्ठा उद्योग के साथ-साथ भवन निर्माण, लकड़ी, बिजली, मार्बल, पत्थर, लोहा, सीमेंट, बजरी आदि से जुड़ा हुआ होने के कारण लगभग 15 लाख मजदूरों को रोजगार मिलता है, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने जिग जैग तकनीक के बिना चलने वाले ईंट भट्ठों पर रोक लगा रखी है।
भट्ठा मजदूर यूनियन के जिला सचिव कामरेड मोहन लाल ने कहा कि ईंट भट्ठों से प्रदूषण फैलने की बात कहना सरासर गुमराह करने वाला है। एन.जी.टी. के आदेश अनुसार सिंपल ईंट भट्टा चलाने से प्रदूषण फैलता है, जबकि यह सच्चाई नहीं है। सिंपल ईंट भट्ठों में सरसों का तूड़ा जलाया जाता है जिससे प्रदूषण नाममात्र ही होता है। दूसरी तरफ किसान के खेत से सरसों का तूड़ा बिकने से किसान को आय होती है ।
सं शर्मा विजय
वार्ता
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