राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Feb 14 2019 5:43PM अकाली -भाजपा सदस्यों के विरोध के बावजूद एसजीपीसी चुनाव प्रस्ताव पारितचंडीगढ़, 14 फरवरी (वार्ता) पंजाब विधानसभा में अकाली दल -भाजपा के विरोध के बीच सत्तापक्ष तथा आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी( एस.जी.पी.सी )के चुनाव को लेकर पेश प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर इस मुद्दे पर केंद्र से बातचीत के लिये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अधिकृत किया है । बजट सत्र के तीसरे दिन आज सदन में आप सदस्य एचएस फूलका ने यह मुद्दा उठाते हुये कहा कि एसजीपीसी को अकालियों से मुक्त कराने के लिये इसके चुनाव जल्द होने चाहिये ।उन्होंने इस बारे में एक प्रस्ताव पेश किये जाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि तीन साल से इसके चुनाव लंबित हैं और इसे अकालियों के कब्जे से मुक्त कराने की जरूरत है । इस पर सत्तापक्ष तथा आप पार्टी के सदस्यों ने सहमति जाहिर की । सदन के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विस अध्यक्ष राणा केपी सिंह से इस बारे में प्रस्ताव पेश किये जाने की अनुमति मांगी । इसबीच अकाली -भाजपा सदस्यों ने इसका विरोध किया । अकाली सदस्य बिक्रम मजीठिया का कहना था कि वे चुनाव के विरोध में नहीं हैं लेकिन विधानसभा स्पीकर से श्री फूलका का स्टेटस जानना चाहते हैं ।वो तो बहुत पहले सदन से इस्तीफा दे चुके हैं तथा क्या वो अभी इस अजीम सदन के सदस्य हैं । स्पीकर ने उन्हें बताया कि श्री फूलका ने रस्मी तौर पर इस्तीफा नहीं दिया है ।इस बारे में पता लगाया जायेगा ।इस दौरान सदन में पेश एसजीपीसी संबंधी प्रस्ताव पारित हो गया तथा मुख्यमंत्री को इसे केन्द्र को भेजकर इस बारे में बात करनी चाहिये । कैप्टन सिंह ने कहा कि गुरुद्वारों पर नियंत्रण करने वाली उच्चतम संस्था के ठीक समय पर चुनाव लोगों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि एस.जी.पी.सी चुनाव में देरी अनुचित और पंजाब के लोगों के साथ पक्षपात है। श्री फूलका द्वारा उठाए गए मुद्दे पर उन्होंने कहा कि एस.जी.पी.सी चुनाव में वोट करना हरेक पंजाबी का लोकतांत्रिक अधिकार है और केंद्र सरकार इससे इन्कार नहीं कर सकती । मुख्यमंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि 2016 से लम्बित एस.जी.पी.सी चुनाव को जल्दी करवाने को लेकर वह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा एक्ट राष्ट्रीय कानून है और इसका समय पर चुनाव करवाना केंद्र सरकार की ड्यूटी है। अकाली दल -भाजपा के विरोध के बीच स्पीकर ने वोटिंग के लिए यह प्रस्ताव किया जिसे सदन ने पारित कर दिया। इस प्रस्ताव को वोट के लिए रखे जाने पर सत्ताधारी पार्टी और आप सदस्यों ने मेजें थपथपा कर इसका स्वागत किया। बाद में मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि इस मुद्दे पर सदन में सर्वसम्मति थी क्योंकि यह चुनाव तीन साल से लम्बित हैं।केवल अकाली और भाजपा इसके हक में नहीं थे।आप से अलग हुये कुछ सदस्यों के लगातार सदन के सदस्य बने रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे उतनी देर तक लगातार सदस्य बने रहेंगे जितनी देर उनके इस्तीफे मंजूर नहीं होते। उन्होंने स्वयं भी 1984 में लोकसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था और वह इस्तीफ़ा स्वीकृत किये जाने तक दो महीने तक सदस्य बने रहें। शर्मा विजयवार्ता