राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Feb 15 2019 7:49PM सहजधारी सिखों को इंसाफ मिलने तक एसजीपीसी चुनाव असंभव :रानूचंडीगढ़ ,15 फरवरी (वार्ता) शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव अभी सहजधारी सिखों को न्याय मिलने तक संभव नहीं हैं क्योंकि अदालत में सहजधारी सिखों के मताधिकार का मामला लटका है । ज्ञातव्य है कि सिख गुरूद्वारा एक्ट 1925 के तहत भाजपा की सरकार ने अपनी सहयोगी अकाली दल के दबाव में संसद में संशोधन किया था जो असंवैधानिक था और जिसके तहत सहजधारी सिखों की वोटें काटी गई थीं । यह जानकारी सहजधारी सिख पार्टी के प्रधान परमजीत सिंह रानू ने आज यहां दी ।उन्होंने कहा कि विधानसभा में एसजीपीसी चुनाव जल्द कराये जाने संबंधी प्रस्ताव तो कर दिया और मुख्यमंत्री को इस मुद्दे को केन्द्र के समक्ष उठाने के लिये अधिकृत कर दिया ।यह सब बहुत जल्दबाजी में किया गया ।इसके पीछे मकसद राजनीतिक लाभ लेने का हो सकता है । श्री रानू ने कहा कि अदालत में सहजधारी सिखों के मताधिकार का मामला हल होने तक चुनाव नहीं कराये जा सकते ।आम आदमी पार्टी के विधायक एचएस फूलका ने सदन को गुमराह किया ।राज्य सरकार इस राजनीतिक स्टंट का लोकसभा चुनाव में लाभ लेना चाहती है ।श्री फूलका वरिष्ठ अधिवक्ता होते हुये सदन में तथ्यों को सही ढंग से नहीं रख सके या विधानसभा के पटल का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे थे । श्री रानू ने कहा कि सिख गुरूद्वारा संशोधन बिल 2016 संसद में पारित किया गया था उस संशोधन बिल में मकसद तथा कारण शामिल नहीं था जो हर बिल के पास होने के लिये जरूरी होता है । उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक संशोधन बिल की कानूनी वैधता को चुनौती देते हुये जो विशेष छूट दी थी उसी के तहत सहजधारियों ने शीर्ष अदालत के दिशा निर्देश अनुसार ही अदालत में चुनौती दी हुई है । उन्होंने बताया कि यह मामला अदालत के फैसले के बाद दोबारा संसद में जायेगा तथा तब तक चुनाव असंभव हैं ।श्री फूलका या तो तथ्यों से अंजान हैं या लोकसभा चुनाव को देखते हुये राज्य सरकार को गुमराह करके राजनीतिक लाभ लेने मंशा है । शर्मा विजय वार्ता