Friday, Mar 29 2024 | Time 05:52 Hrs(IST)
image
राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचल


रूबाई सम्राट राज्यकवि उदयभानु ‘हंस‘ पंचतत्व में विलीन

रूबाई सम्राट राज्यकवि उदयभानु ‘हंस‘ पंचतत्व में विलीन

हिसार, 27 फरवरी (वार्ता) हरियाणा के राज्य कवि, मुक्तककार, गीतकार, दोहाकार, समीक्षक, गजल-प्रणेता एवं रूबाई-सम्राट उदयभानु ‘हंस‘ आज पंचतत्व में विलीन हो गये।

श्री ‘हंस‘ का कल शाम निवास स्थान पर निधन हो गया था। सेक्टर 16-17 के शमशान घाट में उनके पुत्र शशिभानु ने उन्हें मुखाग्रि दी। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में साहित्यिक जगत की हस्तियां व जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम परमजीत सिंह व डीएसपी सहित अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।

दो अगस्त, 1926 ई. को दायरा दीन पनाह, तहसील कोट अद्दू जिला मुज़ फरगढ़(वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे श्री ‘हंस‘ के साहित्य-सृजन की परिधि अत्यन्त व्यापक और गहन है। गीतकार के रूप में वह हरिवंश राय बच्चन, शिवमंगल सिंह सुमन, भवानी प्रसाद मिश्र, नीरज तथा राम अवतार त्यागी की श्रेणी में आते थे। मुक्तककार के रूप में वे अपने मुक्तकों की उत्तमता, गुणवत्ता तथा परिमाण की दृष्टि के लिए जाने जाते थे। जैसे कबीर, रहीम और गिरधर कविराय के दोहे व कुंडलियां सदियों से जनता की जुबान पर सवारी करते आ रहे हैं, वैसे कविवर ‘हंस‘ के सरस मुक्तक और रूबाइयां जनसामान्य व शिष्टजनों के हृदय और वाणी पर राज करती रही हैं। श्री ‘हंस‘ ने स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान सन् 1943 से 1946 ई. तक हिंदी और उर्दू में देशभक्ति की कविताएं लिखकर महत्त्वपूर्ण कार्य किया। ‘धड़कन‘ नामक गीत-संग्रह में उन ओजस्वी कविताओं का संग्रह किया गया है।

श्री ‘हंस‘ रचित हिन्दी रूबाइयां, ‘संत-सिपाही‘ और ‘हरियाणा गौरवगाथा‘ ऐसी कृतियां हैं, जिनका हिन्दी साहित्य में अमूल्य स्थान है। उन्होंने उर्दू रूबाइयों को उनके मूल छंद और शिल्प में हिन्दी भाषा में प्रयोग करने का सर्वप्रथम व सफल प्रयास किया तथा अपनी पहली ही रचना से विशेष ख्याति अर्जित की। गुरू गोबिन्द सिंह के जीवन पर आधारित महाकाव्य ‘संत-सिपाही‘ रचना में उन्होंने गुरू के व्यक्तित्व को जिस प्रकार से प्रस्तुत किया है, उसकी प्रशंसा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जैसे साहित्यकारों ने भी की है। ‘हरियाणा गौरव गाथा‘ इनकी दूसरी प्रबंधात्मक कृति है। हिन्दी में यह अपने ढंग का प्रथम वृत-काव्य है, जिसमें सर्वथा नए प्रयोग हैं। इनमें हरियाणा भूमि के इतिहास एवं संस्कृति का प्रमाणिक ज्ञान है। वीरभूमि हरियाणा का वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक के सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक विकास-हा्रस का अत्यंत सजीव चित्रण हरियाणा गौरव गाथा में किया गया है। पंजाब से अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा सरकार ने 1967 में श्री ‘हंस‘ को राज्यकवि का सम्मान प्रदान किया। श्री ‘हंस‘ को श्रेष्ठ साहित्यकार के रूप में अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से नवाजा गया था।

image