चविंडा कलां (अमृतसर) 04 मार्च (वार्ता) मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को अमृतसर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए घरेलू सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अलावा तीन सतही जलापूर्ति परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं पर 197.69 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
कैप्टन सिंह ने प्रदेशवासियों को पानी बचाने के लिए कहा। उन्होंने कहा प्रदेशवासियों की जिम्मेदारी बनती है कि भावी पीढ़ियों के लिए पानी को बचाये रखे। उन्होंने कहा कि जब राज्य में सतलुज यमुना संपर्क नहर (एसवाईएल) की समस्या शुरू हुई थी उस समय राज्य में 17 मिलियन एकड़ फुट (एमएएफ) पानी था, जो 30 वर्षों में 13 एमएएफ तक गिर गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में 50 हजार के मुकाबले 14 लाख ट्यूबवेल हैं, जिन्हें भाखड़ा नहर के निर्माण के बाद आवश्यक माना गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी वित्तीय संगठनों की मदद लेगी कि लोगों को पीने के लिए नहर और नदी का पानी उपलब्ध किया जाए। उन्होंने लोपोके की उप-तहसील और चोगावां के लिए एक नए डिग्री कॉलेज के उन्नयन की भी घोषणा की।
इससे पहले 154़ 15 करोड़ रुपये की नहर आधारित भूतल जलापूर्ति परियोजनाओं की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपर बारी दोआब नहर के ब्लॉक चोगावां के चार ब्लॉक के 112 गांवों में भूजल की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी। इस अत्याधुनिक परियोजना को डिजाइन, बिल्ड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीओटी) के आधार पर विश्व बैंक से वित्तीय सहायता के साथ निष्पादित किया जाएगा, जिसके लिए निविदाएं पहले ही मंगाई जा चुकी हैं।
कैप्टन सिंह ने अमृतसर जिले के 102 गांवों के लिए एक आर्सेनिक निष्कासन परियोजना का शिलान्यास किया, जिसमें 21. 97 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस परियोजना को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) चेन्नई द्वारा विकसित किया गया है जो नैनो-सामग्री प्रौद्योगिकी पर आधारित है। तीन गांवों में राज्य सरकार द्वारा किए गए एक पायलट प्रोजेक्ट के सफल प्रदर्शन के बाद, इसे नीति आयोग द्वारा व्यवस्थित किया गया है। इन 102 गांवों में से 63 अमृतसर जिले के हैं, जिनमें से 60 आज चालू किए जा रहे हैं और शेष एक महीने के भीतर चालू कर दिए जाएंगे।