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हरियाणा सरकार की नई आबकारी नीति में जोर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर

चंडीगढ़, 05 मार्च (वार्ता) हरियाणा की नई आबकारी नीति जिसे आज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी का पूरा जोर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 7,500 करोड़ रुपये के अब तक के उच्चतम लक्ष्य के प्रक्षेपण के साथ वर्ष 2019-20 की आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई जोकि इस वर्ष के 6,300 करोड़ रुपये पर 19 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष वृद्धि दर्शाती है।
हरियाणा सरकार के यहां जारी बयान के अनुसार आबकारी नीति आबकारी एवं कराधान विभाग के पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाॅट हरियाणा टैक्स डॉट जीओवी डॉट इन के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने और लाइसेंस प्रदान करने से संबंधित ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) पहल के शुभारंभ पर जोर देती है। ईओडीबी के तहत प्रत्येक गतिविधि के लिए समय सीमा तय की गई है। निर्यात के लिए लेबल और अनुमतियों का नवीनीकरण स्वचालित होगा। समय सीमा समाप्त या जब्त बीयर का निपटान भी ब्रेवरीज के निस्सार उपचार संयंत्र (ईटीपी) के माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल तरीके से किया जाएगा।
नीति के तहत कम से कम 20 प्रतिशत शराब कांच की बोतलों में बेची जाएगी। यह नीति शराब निर्माताओं को 180 एमएल के टेट्रा पैक्स(बायोडिग्रेडेबल), जिन्हें तकनीकी रूप से निप्स कहा जाता है, में आईएमएफएल के विपणन के लिए सक्षम बनाती है। उपभोक्ताओं को कम दरों पर बेहतर देशी शराब प्रदान करने के लिए, नीति डिस्टिल्ड को सुपीरियर 65 डिग्री प्रूफ देशी शराब, जिसे मेट्रो शराब कहा जाता है, लॉन्च करने की अनुमति दी गई है और इसे राज्य आधारित डिस्टिलरीज के जरिये बेचा जाएगा।
नीति ने राज्य में सीएसडी कैंटीन के माध्यम से बेची जाने वाली रम पर आबकारी शुल्क को 61 रुपये प्रति प्रूफ लीटर तक कम करके सशस्त्र बलों की उम्मीदों को पूरा किया है। राज्य ने माइक्रो ब्रेवरीज को हार्ड लिकर के लिए अनिवार्य लाइसेंस मांगे बिना लाइसेंस का विकल्प चुनने की अनुमति दी है।
नीति मॉल्स और गुरुग्राम, फरीदाबाद एवं पंचकूला में लाइसेंस प्राप्त शॉपिंग क्षेत्रों में आऊटलेट स्थापित करने की भी अनुमति देती है। देशी शराब और आईएमएफएल के लिए वार्षिक अनिवार्य लिफ्टिंग कोटे को क्रमश: 10 से बढ़ाकर 10.5 करोड़ प्रूफ लीटर और 6 से बढ़ाकर 6.5 करोड़ प्रूफ लीटर किया गया है।
इसके अलावा नई नीति शराब की बिक्री में एकाधिकार को समाप्त करने के लिए आयातित विदेशी शराब में और अधिक आपूर्तिकर्ताओं की अनुमति देती है।
अवैध/तस्करी की शराब का कोई निर्माण और आपूर्ति न हो, इस उद्देश्य के लिए विभाग में 350 पुलिस कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया जाएगा। यह आबकारी नीति बार और रेस्तरां हेतु, विशेष रूप से भिवानी, कैथल, हिसार, जींद और फतेहाबाद जैसे शहरों में, बिक्री के लिए कड़े मानदंडों का प्रावधान करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैध एल-2 तथा एल-13 लाइसेंसधारकों की प्रतिस्पर्धा में बोतलबंद शराब की बिक्री के लिए लाइसेंसों का गलत उपयोग न हो। विभाग में त्वरित स्वीकृति और निर्णय निर्धारण के लिए, जिला स्तर के अधिकारियों को काफी हद तक कलेक्टर आबकारी का अधिकार दिया गया है। रिटेल जोन को मोटे तौर पर प्रत्येक भौगोलिक पोजिशन में स्थित छ: ठेकों के साथ उसी आकार के रखा गया है।
लोगों को स्वयं के लिए घर पर आजीवन शराब का अधिक स्टॉक रखने में सक्षम बनाने के उद्देश्य के लिए लाइसेंस (एल-50) को और अधिक किफायती बनाया गया है और अब यह लाइसेंस विभाग के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में, पूर्ववर्ती सब वेंड्स के अलावा, हर जोन में दो अतिरिक्त सब वेंड्स उपलब्ध करवाए जा सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जोन के भीतर किसी प्रकार अवैध शराब की बिक्री न हो। ग्रामीण क्षेत्रों में, 5000 से अधिक की आबादी वाले गाँवों को अतिरिक्त सब वेंड की अनुमति होगी। किसी जोन के आरक्षित मूल्य से 25 प्रतिशत अधिक की बोली लगाने के इच्छुक संभावित संभावित लाइसेंसधारकों की सुविधा के लिए, धरोहर राशि जमा (ईएमआई) को 21 प्रतिशत की बजाय 15 प्रतिशत किया गया है।
निर्धारित समय में इस आशय का प्रस्ताव पारित करने वाली 57 पंचायतों में शराब नहीं बेची जाएगी। पवित्र शहरों- थानेसर नगरपालिका सीमा और पेहोवा में भी शराब नहीं बेची जाएगी। जिन गांवों कन्या गुरुकुल चल रहे हैं, वहां भी बेचने की अनुमति नहीं होगी।
महेश विक्रम
वार्ता
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