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अनुराग ठाकुर के सामने हमीरपुर सीट बचाने की चुनौती

हमीरपुर, 24 मार्च (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिमाचल प्रदेश के प्रत्याशियों की सूची घोषित होने के साथ ही तीन बार सांसद रहे अनुराग ठाकुर के सामने हमीरपुर सीट बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है क्योंकि यह सीट वर्ष 1998 से भाजपा के कब्जे में है।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर वर्तमान में हमीरपुर से ही सांसद हैं अौर उन्होंने वर्ष 2014 में यह सीट लगभग एक लाख वोटों के अंतर से कांग्रेस के राजेंद्र सिंह राणा से जीती थी। इस बार उनका मुकाबला श्री राणा के बेटे अभिषेक राणा से होने की संभावना है। कांग्रेस में इस सीट से टिकट के अन्य दावेदारों में पूर्व मंत्री अमिता वर्मा तथा बिलासपुर के विधायक बंबर ठाकुर भी हैं।
श्री अनुराग ठाकुर ने पहली बार वर्ष 2008 के उपचुनाव में यह सीट श्री धूमल के स्थान पर जीता था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में सचिव और फिर अध्यक्ष बने श्री ठाकुर को वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बोर्ड से हटना पड़ा था। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने में कोताही बरतने के साथ-साथ अदालत की अवमानना करने व हलफनामे पर असत्य बोलने को लेकर प्रथम दृष्टया दोषी पाया थाा। इसके बाद श्री ठाकुर ने न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी थी पर इससे उनकी प्रतिष्ठा को धक्का तो लगा ही था।
उन्हें हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहने के दौरान धर्मशाला में स्टेडियम निर्माण कराने का का श्रेय जाता है हालांकि इस काम में भी उनपर अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मैं भी चौकीदार‘ अभियान शुरू करने के बाद ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार‘ लगा चुके अनुराग ठाकुर ने टिकट मिलने के बाद श्री मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने सभी शुभकामना संदेशों का पढ़ा है और वह सभी का जवाब देंगे।
हमीरपुर जिले में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा है और चुनावों में महिला मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
लोकसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों का होने के कारण राज्य में खेती एक प्रमुख मुद्दा है तथा बंदरों व सूअरों जैसे पशुओं के फसल को नुकसान पहुंचाया जाना भी एक बड़ी समस्या है।
हमीरपुर अतीत में कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां 1967, 1971, 1980, 1984 और 1996 में यहां कांग्रेस जीती थी। आपातकाल के बाद 1977 में यहां से जनता पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीता था। वर्ष 1989, 1991 तथा 2007 में श्री धूमल यहां से चुनाव जीते थे। भाजपा के ही सुरेश चंदेल ने 1998, 1999 व 2004 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। यानी वर्ष 1998 से यह सीट लगातार भाजपा के कब्जे में रही है। इसका एक कारण कांग्रेस में गुटबाजी बताया जाता है।
अब कांग्रेस ने अगर कोई मजबूत उम्मीदवार श्री ठाकुर के सामने चुनावी मैदान में उतारा तो यह उनके लिए चुनौती होगी क्योंकि प्रदेश में दिसंबर 2017 से भाजपा की सरकार है और प्रदेश सरकार के प्रदर्शन का भी प्रभाव चुनावों पर पड़ता ही है।
सं महेश विजय
प्रियंका आशा
वार्ता
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