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चुनाव. लोकसभा-हरियाण इतिहास दो अंतिम चंडीगढ़

वर्ष 1984 में श्रीमती गांधी ही हत्या के बाद हुये लोकसभा चुनाव में देश की राजनीतिक ने फिर से करवट ली और इस बार हरियाणा में कांग्रेस ने सभी दस सीटों पर कब्जा कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। इस बार केंद्र में श्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 1989 के 9वें लोकसभा चुनावों में बोफोर्स घाेटाला, लिट्टे मुद्दा और पंजाब में आतंकवाद जैसे मुद्दों ने कांग्रेस को एक बार फिर से सत्ता से बाहर कर दिया और केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी। हरियाणा में इस बार जनता दल गठबंधन को छह और कांग्रेस को चार सीटें मिलीं।
राष्ट्रीय मोर्चा की यह सरकार ज्यादा देर तक नहीं चली और वर्ष 1991 में फिर से हुये लोकसभा चुनावों के बाद श्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में केंद्र में पुन: कांग्रेस की सरकार बनी। इस बार हरियाणा में कांग्रेस दस में से नौ सीटों पर विजयी रही। एक सीट हरियाणा विकास पार्टी(हविपा) को मिली। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा ने चार और उसकी गठबंधन सहयोगी हविपा ने तीन, कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं। एक सीट पर निर्दलीय जीता। केंद्र में बार गैर कांग्रेसी दलों की सरकार बनी।
वर्ष 1998 के चुनावों में राज्य में हरियाणा लोकदल-चार, बसपा-एक, कांग्रेस-तीन, भाजपा और हविकां एक-एक सीट जीती तथा इस बार श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन(राजग) की सरकार बनी। वर्ष 1999 के चुनावों में राज्य में भाजपा और इनेलो गठबंधन ने पांच-पांच सीटाें पर कब्जा कर सभी दस सीटें जींत लीं और कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुल पाया। इस पुन: श्री वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में राजग की सरकार बनी।
राज्य में वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दस में से नौ सीटों पर कब्जा किया तथा भाजपा को एक ही सीट पर जीत नसीब हुई। वर्ष 2009 के चुनाव में भी राज्य में कांग्रेस ने नौ सीटें जीतीं। एक सीट कांग्रेस के अलग होकर अस्तित्व में आई हरियाणा जनहित कांग्रेस को मिली। वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र में डा0 मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(सप्रग) की सरकारें रहीं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश की केंद्रीय राजनीति में गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी का जलवा रहा और मोदी आंधी में कांग्रेस नीत संप्रग चारों खाने चित हो गया। हरियाणा में इन चुनावों में भाजपा ने सात और इनेलो ने दो सीटें जीतीं। कांग्रेस इस चुनाव में मात्र एक सीट पर सिमट गई। वर्ष 2019 का चुनाव देश की राजनीति को दिशा और दशा देने वाले भाजपा और कांग्रेस दाेनों प्रमुख दलों के लिय महत्वपूर्ण है। भाजपा को जहां केंद्र और राज्य में अपनी सरकार बरकरार रखने वहीं कांग्रेस के समक्ष भी केंद्र और प्रदेश की सत्ता में वापसी करने की चुनौती होगी।
रमेश1606वार्ता
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