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कुप्रबंधों तथा मंडी माफिया के कारण किसान झेल रहे परेशानी : चीमा

कुप्रबंधों तथा मंडी माफिया के कारण किसान झेल रहे परेशानी : चीमा

चंडीगढ़, 24 अप्रैल (वार्ता)प्रतिपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब की मंडियों में खरीद के कुप्रबंधों और सक्रिय मंडी माफिया की ओर से किसानों को तंग करने का आरोप लगाया है।

श्री चीमा ने आज यहां कहा कि गेहूं और धान के खरीद सीजन के दौरान पूर्ववर्ती अकाली-भाजपा सरकार के समय जिस तरह किसानों का मानसिक और वित्तीय शोषण होता था, वैसे ही अब अमरिन्दर सरकार में भी किसानों के साथ वैसा ही हो रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की अनाज मंडियों में खरीद प्रक्रिया धीमी और अपर्याप्त है जिस कारण किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर आरोप लगाते हुये कहा कि पिछले लंबे समय से चला आ रहा 'मंडी माफिया' पूरी तरह से सक्रिय हो गया है और किसानों का विभिन्न तरीकों से वित्तीय शोषण कर रहा है। मानसा और संगरूर जिले की मंडियों में किसान फोन पर गुहार लगा रहे हैं कि वे एक सप्ताह से मंडियों में बेकार पड़े हुए हैं और सरकारी खरीद एजेंसियों के अधिकारी-कर्मचारी नमी की अधिक मात्रा के बहाने फसल खरीदने के लिए टाल-मटोल कर रहे हैं।

श्री चीमा ने कहा कि कैप्टन सरकार मंडियों में भी राजनीति करने में लगी हुई है, सत्ताधारी कांग्रेस के साथ सम्बन्धित नेताओं और प्रभावशाली लोगों के लिए नमी या कोई अन्य कमी रुकावट नहीं बन रही। मंडियों में आपसी मिलीभगत के साथ चल रहे माफिया पर तुरंत नकेल कसने की जरूरत है जो बोरी कमीशन और कम से कम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदने की ताक में रहते हैं।

प्रतिपक्ष के नेता ने बताया कि किसान पहले ही खेती संकट का शिकार है और अन्य फालतू वित्तीय शोषण बर्दाश्त करने के योगय नहीं है। मुख्यमंत्री इस मामले में खुद दखलंदाजी करें और सक्रिय माफिया को नकेल कसे। उन्होंने वित्तीय संकट का सामना कर रहे किसानों को ऐसे हालात से बाहर निकालने के लिए कैप्टन सरकार को भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तर्ज पर स्वामीनाथन की रिपोर्टें लागू करनी चाहिये 

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