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बेबी कोर्न की खेती से किसानों को सकेगा अधिक लाभ: डॉ नाजर सिंह

जालंधर 03 मई (वार्ता) फसल विविधता के तहत किसान बेबी कोर्न की खेती कर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
मुख्य कृषि अधिकारी डॉ नाजर सिंह ने नकोदर के गांव चक्क कलाँ में 60 एकड़ क्षेत्रफल में बेबी कोर्न की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बेबी कोर्न की फ़सल से किसान अपनी आय में बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 60 से 70 दिनों में तैयार होने वाली इस फसल से किसान प्रति एकड़ 40 क्विंटल बेबी कोर्न का झाड़ प्राप्त कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त बेबी कोर्न की तुड़ाई के उपरांत प्रति एकड़ 170 क्विंटल चारा के तौर पर प्राप्त किया गया है।
डाॅ. सिंह ने कहा कि बेबी कोर्न से बेबी कोर्न सूप, बेबी कोर्न आचार, बेबी कोर्न सब्ज़ी आदि काफ़ी प्रसिद्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा बेबी कोर्न फाइबर का रिच सोर्स है और इसमें प्रोटीन की काफ़ी मात्रा होती है। उन्होंने कहा कि मक्का की बिजवाई उपरांत और मक्के में दाना तैयार होने से पूर्व ही इसकी तुड़वाई की जाती है। उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से हाइब्रिड किस्म प्रकाश और कम्पोजिट किस्म केसरी, बेबी कोर्न के तौर पर किसानों के लिए इसकी सिफारिश की गई है।
गांव चक्क कलां के किसान रछपाल सिंह ने बताया कि बेबी कोर्न फ़सल की बिजवाई अप्रैल महीने से अगस्त महीने तक की जा सकती है। बेबी कोर्न की बिक्री 900 रुपये से 1200 रुपये प्रति क्विंटल हो जाती है और इसके अलावा मक्का चारा भी प्राप्त हो जाता है।
डाॅ. सिंह ने बताया कि बेबी कोर्न की माँग होटलों, रेस्टोरेंटस आदि में दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कृषि और किसान भलाई विभाग की तरफ से फसल विभिन्नता कार्यक्रम के तहत जिला के किसानाें को बेबी कोर्न की फ़सल के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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