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दिल्ली कत्लेआम की गुजरात दंगों से तुलना ही नहीं की जा सकतीः गुजराल

जालंधर, 12 मई (वार्ता) शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल ने रविवार को कहा कि 1984 के दिल्ली सिख कत्लेआम और 2002 के गुजरात दंगों के बीच अंतर है, इसलिए कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाकर अपना पीछा नहीं छुड़ा लगा सकती।
शिरोमणि अकाली दल के नेता ने कहा कि गुजरात में पुलिस ने मुख्यमंत्री के आदेशानुसार दंगों को रोकने का पूरा प्रयास किया था तथा पुलिस फायरिंग में 300 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी लेकिन दिल्ली में दंगें रोकने के लिए एक भी फायर नहीं किया गया। श्री गुजराल ने कहा कि दिल्ली सिख कत्लेआम में एक भी दंगाई घायल तक नहीं हुआ क्योंकि पुलिस मूकदर्शक बनी रही और पुलिस ने स्थिति ठीक करने के लिए एक भी गोली नही चलाई। उन्होंने कहा कि अगर श्री मोदी को इसलिए दोषी ठहराया जा रहा है क्योंकि वह वहां के मुख्यमंत्री थे तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी तो दिल्ली सिख कत्लेआम के समय देश के प्रधानमंत्री थे।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में सिखों की हो रही कत्लोगारत के बावजूद भी श्री गांधी की सरकार ने फौज को तीन दिन तक नहीं बुलाया था। उन्होंने याद किया कि उनके पिता आई के गुजराल, जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा तथा एयरमार्शल अर्जुन सिंह उस समय फौज बुलाने तथा सिख कत्लेआम को रोकने का आग्रह करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पास कई बार गये थे पर उन्होंने साफ लाचारी जताई थी कि फौज न बुलाने के लिए प्रधानमंत्री के स्पष्ट आदेश हैं।
अकाली नेता ने कहा कि विडंबना यह थी कि राष्ट्रपति जिसने स्वयं प्रधानमंत्री से एक दिन पहले शपथ ली थी, ने उनके पिता तथा जनरल अरोड़ा से शिकायत की थी कि प्रधानमंत्री उसकी कॉल का भी जवाब नहीं दे रहे हैं। श्री जैल सिंह की पुत्री ने भी इस बारे में लिखा है।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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