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मलेरकोटला में धार्मिक बेअदबी नहीं हुई, दुर्घटनावश आग लगी थी : पुलिस

चंडीगढ़, 13 मई (वार्ता) पंजाब पुलिस ने आज दावा किया कि मलेरकोटला में धार्मिक बेअदबी की कोई घटना नहीं हुई बल्कि दुर्घटनावश आग लगने की घटना थी और अपनी कोताही के कारण नौकरी गंवाने के डर से ग्रंथी ने बेअदबी की कहानी गढ़ी थी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चंडीगढ़, लुधियाना और संगरूर से फोरेंसिक विशेषज्ञों के प्रयासों की मदद से गुत्थी हल की गई तथा इनके निष्कर्ष की पुष्टि मुंबई से विशेषज्ञ गोपाल रेलकर के नेतृत्व में आई एक टीम ने भी की।
मुख्यमंत्री ने पुलिस व विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयासों की सराहना की है। घटना से क्षेत्र में तनाव फैल गया था।
पुलिस के अनुसार जांच के बाद पता चला कि हथोआ गांव के गुरद्वारे में आग पवित्र कक्ष के अंदर लगे एक दीवार पंखे के हद से ज्यादा गर्म होने के कारण लगी थी। पंखे के पीवीसी केस में आग लगी जिससे वह भगवा ‘परना ‘ भी जलने लगा जिससे पंखा पालकी साहब खंभे से बंधा था। पंखा और परना कालीन पर गिरे जिससे कालीन में भी आग लग गई और आग की चपेट में गुरू ग्रंथ साहिब बीड़ भी आ गई।
पुलिस के अनुसार ग्रंथी जोगा सिंह ने स्वीकार किया है कि उन्होंने दरबार हाल में किसीके घुसने की बात गढ़ी थी। ग्रंथी ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह डर गये थे कि ग्रामवासी उन पर लापरवाही का आरोप लगाएंगे और उन्हें नौकरी से निकाल दिया जायेगा जो कि अपने चार सदस्यों के परिवार के लिए उनकी आय का एकमात्र साधन था।
घटना की खबर फैलते ही कई पुलिसकर्मियों के वहां पहुंचने से डरे ग्रंथी ने स्थानीय प्रबंधन समिति के प्रधान को यह सब बताया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अस्थायी तौर पर पंखा लगाया था जिसमें आग लगी। ग्रंथी ने पुलिस को अधजला कपड़ा और पंखे का मोटर भी दिखाया जो उन्होंने गुरद्वारा प्रांगण में अपने घर के पीछे आंगन में छिपा दिया था।
महेश विक्रम
वार्ता
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