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बिजली वितरण के निजीकरण के नीति आयोग के प्रस्ताव का विरोध

जालंधर, 13 जून (वार्ता) नीति आयोग के स्ट्रेटेजी पेपर में बिजली वितरण के निजीकरण और शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फ्रेंचाइजी मॉडल लागू करने के प्रस्ताव पर बिजली कर्मचारियों और इन्जीनियरों ने कड़ा रोष व्यक्त करते हुए कहा है कि बिजली सेक्टर में किसी भी प्रकार से निजीकरण करने की कोशिश की गयी तो इसका जोरदार विरोध होगा।
आल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने गुरुवार को यहाँ जारी बयान में बताया कि नीति आयोग द्वारा जारी स्ट्रेटेजी पेपर में उन्हीं बातों का उल्लेख है जो इलेक्ट्रिसिटी (एमेंडमेंट ) बिल 2014 और 2018 में सम्मिलित थीं | उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (एमेंडमेंट ) बिल 2014 और 2018 विगत लोकसभा में पारित न हो पाने के कारण लैप्स हो गये और नयी लोकसभा में पुनः इस बिल को रखने के पहले बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों से वार्ता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने वार्ता हेतु केंद्रीय विद्युत् मंत्री आर के सिंह को पत्र भेजकर समय माँगा है।
विज्ञप्ति में फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में विगत 25 वर्षों में किये गए निजीकरण एवं फ्रेंचाइजी के सभी प्रयोग पूरी तरह असफल साबित हुए हैं, ऐसे में इन्हीं असफल प्रयोगों को आगे बढ़ाने के नीति आयोग के प्रस्ताव पर जल्दबाजी में एक तरफा निर्णय लेने के बजाय केंद्र सरकार को बिजली कर्मियों को विश्वास में लेकर सार्थक ऊर्जा नीति बनानी चाहिए जिससे आम लोगो को सस्ती और गुणवत्तापरक सहज बिजली उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्डों के विघटन का प्रयोग विफल रहा है और मात्र विघटन कर नई बिजली कंपनियों के गठन से घाटा तो निरंतर बढ़ ही रहा है, अनावश्यक प्रशासनिक खर्चे भी बढ़ गए हैं, अतः बिजली कंपनियों के एकीकरण की जरूरत है जिससे उत्पादन, पारेषण और वितरण में बेहतर सामंजस्य हो सके। विघटन के बाद की स्थिति यह है कि एक ओर उत्पादन और पारेषण कंपनियों को मुनाफे के नाम पर अरबों रु का इनकम टैक्स देना पद रहा है तो वहीं दूसरी ओर वितरण कम्पनियाँ सरकार की दोषपूर्ण ऊर्जा नीति के चलते अरबों रु के घाटे में हैं। इनकम टैक्स और घाटे दोनों की भरपाई अंततः आम उपभोक्ताओं से बिजली टैरिफ बढ़ा कर की जा रही है जो किसी के हित में नहीं है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नीति आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निजीकरण की कोई एकतरफा कार्रवाई की गयी तो देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर राष्ट्रव्यापी आंदोलन प्रारम्भ करने के लिए बाध्य होंगे।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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