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मक्का खेती से हो सकता है ज्यादा लाभ - डॉ सुतंतर

जालंधर, 20 जून (वार्ता) राज्य में भूमिगत जल के स्तर में सुधार लाने तथा पानी की बचत करने के उदेश्य से पंजाब कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चला रहा है जिनमें ड्रिप सिंचाई प्रणाली, किसानों को धान की परमपरागत फसल के बजाए मक्का की फसल के प्रति जागरूक करना और किसानों को मक्का की फसल के लिए जरूरी वस्तुओं पर 50 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है।
कृषि विभाग के निदेशक डॉ सुतंतर कुमार ऐरी ने गुरूवार को यूनीवार्ता को बताया कि राज्य में भूजल स्तर में 37 सेंटीमीटर की कमी आई है और जालंधर के सभी दस ब्लॉकों को अतिशेष घोषित कर दिया गया है। भूजल को बचाने के लिए मक्का की फसल धान की फसल के लिए पानी का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक किलो धान के लिए 37 सौ लीटर पानी की जरूरत होती है, जबकि एक किलो मक्का के मामले में 1222 लीटर पानी की जरूरत होती है जो धान की तुलना में बहुत कम है। उन्होंने बताया कि पानी की बचत करने के उदेश्य से किसानों को मक्का की फसल के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत प्रदर्शनियां लगाई जा रही हैं तथा मक्का की फसल लगाने के इच्छुक किसानों को उन्नत किस्म के बीज सहित जरूरी वस्तुओं पर 50 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है।
डॉ ऐरी ने बताया कि सौ फीसदी धान लगाने वाले क्षेत्रों में से राज्य के 20 ब्लॉकों की दो सौ हैक्टेयर जमीन पर प्रदर्शनियां आयोजित कर किसानों को डायवर्सिफिकेशन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चुने गए ब्लॉक तथा खेत में प्रदर्शनी लगाने के लिए प्रति हैक्टेयर 23 हजार पांच सौ तथा नौ हजार रूपये प्रति एकड़ बीज तथा जरूरी अन्य सामान की खरीद के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके अतिरिक्त अगर कोई किसान मक्का की फसल लगाना चाहता है तो उसे उन्नत किस्म के बीजों तथा अन्य जरूरी सामान की खरीद के लिए सरकार द्वारा 50 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही है।
कृषि निदेशक ने बताया कि मक्का प्रोत्साहन योजना के तहत मक्का की फसल पर ड्रिप सिंचाई प्रदर्शनी आयोजित करके किसानों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत, विभाग ने राज्य में आठ हजार हैक्टेयर और जिला जालंधर के दस ब्लॉकों में से प्रत्येक में 10 किसानों का चयन किया है जिनकी एक एकड़ भूमि पर ड्रिप सिंचाई प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। पूरे पंजाब में ऐसे 1350 प्रदर्शन किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार भूजल को और अधिक कमी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और मक्का की फसल पर ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने से भूजल को 75 प्रतिशत तक बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली की प्रदर्शनी लगाने के लिए प्रति एकड़ एक लाख 35 हजार रुपये खर्च होंगे जिनमें से किसान का योगदान केवल 10 हजार रुपये होगा और बाकी राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के पश्चात ड्रिप सिंचाई प्रणाली किसानों की संपत्ति बन जाएगी।
ठाकुर जितेन्द्र
जारी वार्ता
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