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‘एक राष्ट्र एक चुनाव‘ बैठक में न बुलाने पर इनेलो ने जताया एतराज

चंडीगढ़, 21 जून (वार्ता) इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर इस बात पर विरोध जताया है कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचारविमर्श के लिए हाल में प्रधानमंत्री की तरफ से बुलाई गई बैठक में पार्टी को आमंत्रित नहीं किया गया।
इनेलो ने आज यहां जारी बयान में कहा कि यह एक ऐसा विषय है जिसका संबंध राज्यों से भी उतना ही है जितना केंद्र से, इसलिए क्षेत्रीय दलों को ऐसे संवाद के लिए अवश्य बुलाया जाना चाहिए था। इनेलो के अनुसार इस विषय पर किसी भी संवाद को करते समय सभी मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों के विचारों को जानना आवश्यक हो जाता है।
इनेलाे के अनुसार यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में अतीत में भी विचारविमर्श किया गया है और इनेलो ने हमेशा यह कहा है कि भले ही ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ वित्तीय एवं अन्य मानदण्डों के आधार पर एक आकर्षक निर्णय लगता है किंतु इस पर और अधिक गहन विचारविमर्श की आवश्यकता है।
इनेलो के बयान के अनुसार पार्टी का मानना है कि लगभग सभी राज्यों की अपनी विशेष समस्याएं होती हैं जिनका एकसमान समाधान नहीं हो सकता और उसकी अपनी विशेषताओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग योजनाएं एवं समस्याओं के हल तलाश करने जरूरी हो जाते हैं। इनेलो के अनुसार इसीलिए इतने महत्वपूर्ण विषय को लेकर जब प्रधानमंत्री राजनैतिक दलों से संवाद कर रहे हों उसमें इनेलो जैसा दल जो हरियाणा में कई बार सरकार बना चुका हो, उसके विचार जानना भी नितांत आवश्यक हो जाता है।
अपने पत्र में इनेलो ने यह भी कहा है कि संविधान के निर्माताओं ने इन सभी समस्याओं पर संविधान को बनाने के समय गौर किया गया था और इसे पहचानते हुए ही संविधान को अर्धसंघीय ढांचा दिया गया था। इस ढांचे के कारण ही देश के समक्ष आने वाले सभी विषयों का वर्गीकरण करते हुए केंद्रीय सूची, राज्य सूची और दोनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सूचियों को भी स्पष्ट रूप से लिखा गया था और अब जबकि सरकार एक ऐसे ढांचे को बनाना चाहती है जिसमें कुछ परिस्थितियों में राज्यों के अपने मुद्दे राष्ट्र के मुद्दों के सामने गौण पड़ सकते हैं तो इससे संविधान के संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की सम्भावना है। इनेलो के अनुसार ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी छोटे-बड़े राजनैतिक दलों, सिविल सोसायटी एवं इस विषय का अध्ययन करने वाली संस्थाओं और लोगों के विचारों को भलीभांति जान लेना चाहिए और उसके बाद ही बदलाव संबंधी कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।
महेश विजय
वार्ता
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