चंडीगढ़, 26 जून(वार्ता) कांग्रेस कार्य समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दादूपुर-नलवी नहर परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई भूमि की अधिसूचना रद्द करने और जमीन किसानों को लौटाने के लिए मुआवजा राशि ब्याज समेत लौटाने की शर्त थोपने वाले हरियाणा मंत्रिमंडल के फैसले को गैरकानूनी व भाजपा सरकार का किसानों से विश्वासघात करने वाला तुगलकी फरमान बताया है।
उन्होंने आज यहां कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर भाजपा मंत्रिमंडल के इस गलत और किसान विरोधी फैसले को बदलते हुए किसानों से न्याय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पिछले पांच सालों से लगातार किसानों से भद्दा मजाक और अपमान कर रही है। हर दूसरे महीने मंत्रिमंडल की बैठक करके इस मामले में कोई नया किसान विरोधी फैसला किया जाता है,किसानों की कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि दादूपुर नलवी नहर उत्तरी हरियाणा की जीवन रेखा है, जिसे यमुनानगर,अम्बाला और कुरूक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की जमीन की सिंचाई और भूमिगत जलस्तर बढाने के दोहरे उद्येश्य से बनाने का फैसला लिया गया था। उत्तरी हरियाणा के अनेक ब्लॉक पहले से ही डार्कजोन में हैं, जिनमें किसान ट्यूबवेल नहीं लगवा सकते। ऐसे में खेती कैसे हो पाएगी, कैसे सिंचाई होगी, कैसे भूमिगत जलस्तर ऊपर आएगा और किसानों का जीवनयापन कैसे होगा।
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों बाद भूमिगत जल खत्म हो जाएगा तो उत्तरी हरियाणा रेगिस्तान बन जाएगा। यह क्षेत्र हरियाणा ही नहीं, देश के अन्न के भंडार भरने में सबसे ज्यादा योगदान देता है। खेती की वजह से लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। परियोजना के तहत नहरों और सडकों का निर्माण किया जा चुका है, लेकिन खट्टर सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा किये गए काम पर पानी फेरते हुए इस परियोजना को समाप्त करने का फैसला किया था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने अपनी भूमि की क्षति के मुआवजे का दावा नहीं करने वाले भूमि मालिकों का साधारण ब्याज माफ करने का जो निर्णय लिया है, वह किसानों से धोखा है क्योंकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा पास मूल भूमि अधिग्रहण कानून में अधिग्रहित भूमि को अधिग्रहण के पांच साल में उपयोग में नहीं लाने पर उसे किसानों को मुफ्त वापस किये जाने का प्रावधान था। ऐसे में सरकार यदि इस परियोजना को रद्द करना चाहती है तो उसे इस ज़मीन के लिए सरकार द्वारा दी गयी अवार्ड राशि और उस पर ब्याज मांगने का कोई नैतिक हक़ नहीं है।
शर्मा
वार्ता