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स्कूलों में बच्चे पढ़ाई के साथ अब सीखेंगे शतरंज की चालें भी

हिसार, 26 जून (वार्ता) स्कूली बच्चों की तर्क शक्ति बढ़ाने के लिए उन्हें पढ़ाई के साथ शतरंज, शब्द एवं तर्क पहेलियों जैसी गतिविधियों जोड़ने की सिफारिश नई शिक्षा नीति में की गई है।
यह जानकारी हरियाणा शतरंज एसोसिएशन और भारतीय शतरंज महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप ने दी। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में इसे लेकर पहल की गई है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अनिवार्य रूप से शतरंज खेलने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही उन्हें शब्द और तर्क पहेलियों जैसी गतिविधियां से भी जोड़ने की सिफारिश की गई है।
श्री कुलदीप ने बताया कि शिक्षा नीति में बच्चों में घटती तार्किक क्षमता को लेकर चिंता जताई गई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है जिस तरह से स्कूलों में बच्चों के स्वस्थ रहने के लिए खेलकूद और शारीरिक कसरत जरूरी है, उसी तरह से दिमाग के विकास के लिए दिमागी कसरत भी जरूरी है, जो शतरंज या ऐसी ही दूसरी तार्किक गतिविधियों से हासिल हो सकती है।
उन्होंने कहा कि शतरंज जैसे खेल, शब्द, समस्या-समाधान और तर्क पहेलियां बच्चों में तार्किक क्षमता को बढ़ाने का एक आनंददायी तरीका है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि यदि स्कूली स्तर पर बच्चों में तर्क करने की यह क्षमता विकसित कर दी जाए, उसे पूरे जीवन उसका फायदा मिलेगा।
नई शिक्षा नीति के मसौदे पर सरकार फिलहाल अभी राय ले रही है, जिसकी अंतिम तिथि 30 जून है। इसके बाद इसके अमल की प्रक्रिया शुरू होगी।
सं महेश
वार्ता
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