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नमामि गंगे की तर्ज पर होगी हिमाचल में नदियों की सफाई

शिमला, 28 जून(वार्ता) विश्वभर में तेजी से उभर रहे जल संकट तथा भारत के कई हिस्सों में सूखे की समस्या के मद्देनजर हिमाचल से निकलने और बहने वाली नदियों की सफाई नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर करने की योजना बनाई गई है।
राज्य से पांच मुख्य नदियां निकलती हैं जो देशभर के लोगों और खेतों की प्यास बुझाती है। लेकिन नदियों के लगातार घटते जलस्तर और पानी की गुणवत्ता से वुद्धिजीवी समाज चिंताग्रस्त है। जल संकट को देखते हुए हिमाचल की पांच प्रमुख नदियों सतलुज, ब्यास, चिनाव, रावी और झेलम को नमामि गंगे की तर्ज पर साफ करने और इनको बचाने के लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट(डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिये हैं। यह काम हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान करने जा रहा है।

इसी मकसद से संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें वानिकी गतिविधियों के माध्यम से डीपीआर बनाने के लिए विशेषज्ञ ने विचार विमर्श किया जाएगा। तीन राज्यों के विशेषज्ञ यहां जुटे हुए हैं। इस कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। नदियों को बचाने के लिए वनों की अहम है। इसलिए नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़ पौधे लगाने की जरूरत है। उन्होंने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
सं.रमेश1900 वार्ता
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