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गुरू पर्व के बहाने भाजपा की पंजाबी समुदायों में पांव जमाने की कोशिश

सिरसा,04अगस्त(वार्ता ) हरियाणा में सिख बहुल सिरसा में आज गुरू नानक देव के 550 वें प्रकाश दिवस पर राज्य स्तरीय समारोह करके भारतीय जनता पार्टी ने पंजाबी समुदाय के दिलों को जीतने की कोशिश की।
हालांकि समागम धार्मिक था और वक्ताओं ने भाजपा शासन व पूर्व के शासन के बीच अंतर को बताकर पंजाबी समुदाय के लोगों को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश की। सिरसा संसदीय क्षेत्र में कुल नौ विधानसभा सीटें हैं जिनमें टोहाना की सीट को छोड़कर शेष सभी सीटों पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो )ने परचम लहराया था। अब इनेलो के हाशिये पर चले जाने के बाद भाजपा पंजाबी वर्ग के वोट को अपने साथ जोडऩे के प्रयास में है।
यूं तो भाजपा तथा आरएसएस की यहां के पंजाबियों पर नजर लम्बे समय से ही है। पिछले साल अनाज मंडी में ही एक पंजाबी समागम हुआ था जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शिरकत कर हिंदु व सिख एकता का पाठ पढ़ाया था। इस इलाके के पंजाबियों का रूझान अब तक पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो की आेर ही रहा है। अब इनेलो में बिखराव की बनी स्थिति के बाद इनेलो से छिटके पंजाबी वोट बैंक को भाजपा अपनी ओर करने को लालायित है।
सिरसा पंजाब की सीमा से सटा होने के कारण यहां के मतदाताओं पर अकाली दल बादल का भी प्रभाव माना जाता है । भाजपा ने इस राज्य स्तरीय समागम में सहयोगी दल होने के बावजूद अकाली दल बादल को किनारे ही रखा। भाजपा डबवाली से लेकर अम्बाला तक की पंजाबी भाषी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की व्यूह रचना तैयार किए हुए है। सूत्र बताते हैं कि अकाली दल का हरियाणा में भाजपा से गठबंधन है तथा आगामी विधानसभा चुनाव में अकाली दल को कमल के फूल पर ही अपने प्रत्याशी खड़े करने की हिदायत दी गई है। भाजपा व अकाली दल में फिलहाल कालांवाली सुरक्षित सीट व अम्बाला सीट पर ही सहमति बन पाई है लेकिन चुनाव चिन्ह कमल के फूल पर ही चुनाव लडऩे की बात पर पेंच फंसा हुआ है।
आज यहां अायोजित राज्य स्तरीय समागम में आयोजकों ने बड़ी धार्मिक संस्थाओं के बजाय छोटे-छोटे समूहों पर ज्यादा ध्यान दिया। सिरसा के साथ-साथ दूसरे जिलों की सिक्ख जत्थेबंदियों को भी विशेषत: आंमत्रित किया गया। आयोजन में मुख्यमंत्री से लेकर अन्य लोगों ने भंगवा रंग की पगड़ी पहनी व उपस्थित भीड़ को संदेश देने का प्रयास किया गया कि भाजपा के भगवें व सिखों के सिरोपे मेंं कोई भेद नहीं है। मुख्यमंत्री ने लंगर तक स्वयं वितरण कर पंजाबी वर्ग के लोगों में सीधी पेंठ स्थापित करने की कोशिश की।
अब देखना यह है कि आखिर भाजपा इस राज्य स्तरीय समागम से यहां के पंजाबियों को कितना भगवें में रंग पाती है।
सं शर्मा
वार्ता
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