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पानी बचाने तथा फसल विविधीकरण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक शीघ्र

चंडीगढ़, 05 अगस्त (वार्ता )पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज विधानसभा में बताया कि प्रदेश में धान की रोपायी 20 जून के बजाय एक जून किये जाने को खारिज कर करते हुये धान की रोपायी की तारीख में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा ।
प्रश्नकाल के दौरान सदन के नेता आम आदमी पार्टी के सदस्य कुलतार सिंह संधवां के भूजल संकट को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे । उन्होंने सभी सदस्यों को अवगत कराया कि इस साल धान रोपायी प्रयोग के तौर पर 13 जून की गई लेकिन धान रोपाई की तारीख बदली नहीं जायेगी ।
कैप्टन सिंह ने बताया कि पिछले लंबे अर्से से राज्य में भूजल का दोहन होने से पानी काफी नीचे चला गया है जिससे आने वाले समय में जल संकट का सामना करना पड़ेगा । सरकार ने समय की नजाकत को पहचानते हुये जल संरक्षण के लिये फसल चक्र में परिवर्तन के लिये व्यापक रणनीति बनाने के लिये जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है जिसमें सर्वसम्मति बनायी जा सके ।
कैप्टन सिंह ने आज सदन को बताया कि प्रदेश में पानी की मौजूदा स्थिति को देखते हुये इसकी बर्बादी रोकने के लिये सख्ती की जरूरत है जिस पर आपसर मतभेद भुलाकर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है । पंजाब इस समय पानी की कमी से जूझ रहा है । इराडी कमीशन ने पानी का मूल्यांकन करते समय नदियों के जल का स्तर 17.1 एमएएफ होने का अनुमान लगाया था तथा तब से अब पानी का स्तर घटकर 13 एमएएफ रह गया है ।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिससे पानी की समस्या बड़ा रूप लेती जा रही है । धरती के नीचे पानी तेजी से नीचे गिरता जा रहा है । यह सभी के लिये चिंता का विषय है । मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019 में प्रकाशित ‘गतिशील जमींदोज पानी अनुमानित रिपोर्ट -2017’ का उल्लेख किया जिसके अनुसार प्रदेश के सारे 138 ब्लाकों में से 109 ब्लाक डार्क जोन घोषित किये जा चुके हैं (जहां जमीन का पानी रिचार्ज से अधिक निकाला गया है ) में शामिल हैं । प्रदेश के लगभग 85फीसदी रकबे में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है तथा भूजल की अौसतन गिरावट की सालाना दर 50 सेंटीमीटर है ।
उन्होंने कहा कि पंजाब में पहला लंबा समय लेने वाली धान की किस्में की रोपायी होती थी लेकिन अब कृषि विश्विद्यालय की ओर से जारी की गई कम समय लेने वाली धान की किस्में पकने में कुछ दिन ज्यादा लेती हैं तथा सिंचाई की जरूरत कम होती है । नयी किस्मों में पीआर 126, पीआर 124, पीआर 127,पीआर 121 तथा पीआर 122 प्रदेश के लगभग 83 फीसदी रकबे में रोपी जा रही है जिसके पकने का समय औसतन 110 दिन है तथा इनकी मंडीकरण में कोई समस्या नहीं आती ।
शर्मा
वार्ता
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