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मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश

मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश

चंडीगढ़,06अगस्त(वार्ता) शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने विधानसभा को गुमराह करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ एक विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया जिसे नामंजूर किये जाने के विरोध में आज सदन से वाकआउट किया ।

उन्होंने आरोप लगाया कि बेअदबी के केसों की जांच को रोकने के लिए इस संवेदनशील मुद्दे पर परस्पर विरोधी बयानबाजी की जा रही है। उन्होंने सदन के बाहर पत्रकारों को बताया कि अकाली दल विधायक दल के नेता परमिंदर सिंह ढ़ींडसा की अगुवाई में गठबंधन के नेताओं ने एक विशेषाधिकार प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह को सौंपा तथा इसे मंजूर करने का अनुरोध किया ताकि मुख्यमंत्री द्वारा सदन को गुमराह किये जाने के सबूत पेश किये जा सकें ।

विशेषाधिकार प्रस्ताव के बारे जानकारी देते हुये श्री ढ़ींडसा तथा पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा को गुमराह किया है तथा उलटे पिछली अकाली-भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले की जांच सीबीआई को सौंपनी नहीं चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि इस मामले के असली तथ्य बिल्कुल ही अलग हैं। मुख्यमंत्री ने गत 31 जुलाई को दिए अपने बयान को ही झूठला दिया जिसमें उन्होंने बेअदबी के केसों की सीबीआई से दोबारा जांच करवाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि इससे पहले 6 नवंबर 2015 को कैप्टन सिंह ने बयान दिया था कि बेअदबी के केसों की जांच उच्चतम न्यायालय के किसी सिटिंग जज से करवायी जानी चाहिए।

उस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पीसीसी के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा भी थे तथा उन दोनों ने भी बेअदबी के केसों की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी।

अकाली नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार ने इसके लिए एक औपचारिक अनुरोध भी किया था, जिसके तहत् 29जुलाई 2019 को डीजीपी ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टीगेशन ने राज्य के पुलिस महानिदेशक की सहमति से सीबीआई डायरेक्टर को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा गया था कि पंजाब सरकार द्वारा गठित सिट ने खुलासा किया है कि कुछ गवाहों/संदिग्धों की अभी जांच नही हो पाई है तथा इसके द्वारा इकट्ठे किए तकनीकी सबूत का अध्ययन किए जाने की जरूरत है, जिसमें विदेशी एजेंसियों से सहयोग लेना भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि पत्र के अनुसार सरकार ने अनुरोध किया था कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सीबीआई को बेअदबी के तीन केसों की आगे जांच करनी चाहिए। सीबीआई के जांच अधिकारी ने मोहाली की सीबीआई अदालत में यह खुलासा करते हुए पंजाब सरकार की पोल खोल दी थी कि बेअदबी के केसों की जांच के संबंध में राज्य के किसी भी अधिकारी या पंजाब पुलिस के अधिकारी ने उससे संपर्क नही किया था।

श्री मजीठिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री को ऐसा जवाब तैयार करने में मदद की । यह सारी कार्रवाई योजनाबद्ध थी। स्पीकर ने सिर्फ शून्यकाल को छोटा कर दिया तथा अकाली दल को अपना पक्ष रखने की अनुमति ही नही दी। कल भी अकाली दल को बेअदबी के मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी,जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी तथा आप के बीच फ्रेंडली मैच चल रहा है ।

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