राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Aug 13 2019 4:58PM 1347 दिव्यांगजनों को 1़ 26 करोड़ रुपये के कृत्रिम अंग व उपकरण दिये गये
हिसार, 13 अगस्त (वार्ता) हरियाणा के नारनौंद में आज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 1347 दिव्यांगजनों को 1.26 करोड़ रुपए के निशुल्क कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण वितरित किए।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले सभी दिव्यांगजनों को केंद्र सरकार की ओर से बैटरी चालित तिपहिया मोटरसाइकिल वितरित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि नारनौंद के ऐसे 83 दिव्यांगजनों को यह मोटरसाइकिल एक सप्ताह के भीतर मिल जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांगजनों की ओर से अदा किया जाने वाला अंशदान वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा वहन किया जाएगा।
श्री गुर्जर ने कहा कि पिछले पांच साल में देश के 13 लाख दिव्यांगजनों को 815 करोड़ रुपए के निशुल्क अंग व उपकरण प्रदान किए गए हैं। कैप्टन अभिमन्यु कार्यक्रम में उपस्थित थे।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि पहले 7 प्रकार की दिव्यांगता पर ही योजनाओं का लाभ मिलता था, लेकिन दिव्यांगजनों के हित में वर्तमान सरकार ने विशेष विधेयक बनाया जिसके तहत 14 अतिरिक्त दिव्यांगता को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों का आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत व शिक्षण संस्थानों में दाखिलों में 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि दिव्यांगजनों के लिए सार्वभौमिक पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू किये जाने के कारण दिव्यांगजनों को देश के सभी हिस्सों में योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि हिसार जिला में अब तक 2500 व्यक्तियों के कार्ड बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि जन्म से गूंगे-बहरे बच्चों के जीवन को आसान बनाने के लिए पांच साल तक के बच्चों को भारत सरकार की ओर से छह लाख रुपये कीमत का कोकलर इंप्लांट करवाया जा रहा है और ऐसे 2066 बच्चों को यह सुविधा दी जा चुकी है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि पहले अच्छे उपकरण विदेेशों से आयात किए जाते थे और देश में बनने वाले उपकरण उच्च गुणवत्ता के नहीं होते थे लेकिन वर्तमान सरकार ने विदेशी कंपनियों के साथ अनुबंध करके अब देश में ही उच्च गुणवत्ता के उपकरण बनाने शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब आधुनिक व्हील चेयर इंग्लैंड में नहीं बल्कि कानपुर में बनने लगी हैं। इसी प्रकार जर्मनी में बनने वाले आधुनिक हाथ-पैर भी अब जर्मन कंपनी के सहयोग से भारत में बनने लगे हैं।