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बिजली निजीकरण के विरोध में संघर्ष का संकल्प

जालंधर, 27 अगस्त (वार्ता) केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बिजली आपूर्ति के निजीकरण के लिए राज्यों की वित्तीय मदद रोकने को राज्य सरकारों की स्वायत्तता का हनन बताते हुए बिजली इंजीनियरों ने निजीकरण के विरोध में संघर्ष का संकल्प लिया है।
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह द्वारा बिजली आपूर्ति के निजीकरण को राज्यों की वित्तीय मदद से जोड़ने को राज्य सरकारों की स्वायत्तता का हनन बताते हुए निजीकरण के विरोध में संघर्ष का संकल्प लिया किया है। फेडरेशन ने विद्युत मंत्री के कल दिये गये बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा है कि जो राज्य विद्युत वितरण और आपूर्ति को अलग-अलग कर विद्युत आपूर्ति का काम निजी फ्रेंचाइजी को नहीं सौंपेंगे, उन्हें केंद्र सरकार पॉवर फाइनेंस कार्पोरेशन से और अन्य मदों से मिलने वाली वित्तीय सहायता बंद कर देगी।
फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने आज यहाँ जारी बयान में कहा है कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है और राज्य का विषय है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को वित्तीय सहायता रोकने की धमकी देकर निजीकरण के दबाव डालना सरासर गलत है और राज्यों की स्वायत्तता में दखलंदाजी है। उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे केंद्र सरकार को इस बाबत पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज करें और दबाव में निजीकरण न करें। फेडरेशन के पदाधिकारी विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलकर उन्हें इस बाबत ज्ञापन देंगे।
फेडरेशन ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में विगत में किये गये निजीकरण और फ्रेंचाइजी के लगभग सभी प्रयोग पूरी
तरह विफल रहे हैं। सबसे पहले ओडिशा में किया गया निजीकरण का प्रयोग विफल होने के कारण नियामक आयोग ने वहां निजी कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसी प्रकार औरंगाबाद, जलगांव, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर में फ्रेंचाइजी के विफल रहने के बाद पावर कार्पोरेशन को पुनः व्यवस्था सभालनी पड़ी और हाल में ही नागपुर की निजी फ्रेंचाइजी एसएनएलडी ने महाराष्ट्र पावर कार्पोरेशन को पत्र लिखकर कहा है कि वह अब नागपुर का कार्य कर सकने में असमर्थ है अतः कार्पोरेशन नागपुर की वितरण व्यवस्था पुनः वापस ले ले। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में अब कौन नया फ्रेंचाइजी आ जायेगा जो देश भर की विद्युत आपूर्ति संभाल लेगा जिसके लिए केंद्रीय विद्युत मंत्री राज्यों की वित्तीय मदद रोकने की धमकी दे रहे हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि विद्युत वितरण और आपूर्ति अलग-अलग कर आपूर्ति को निजी लाइसेंसी को देने या निजी फ्रेंचाइजी को देने का देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने प्रश्न किया कि विद्युत वितरण में सरकार अरबों-खरबों रुपये की धनराशि खर्च करेगी और इस नेटवर्क के सहारे निजी कम्पनियाँ बिना एक भी पैसा खर्च किये बिजली आपूर्ति का बिजनेस कर रुपये कमाएंगी तो यह कौन सा रिफार्म है जिसके लिए केंद्रीय विद्युत् मंत्री राज्यों पर दबाव दाल रहे हैं।
इंजीनियर्स फेडरेशन ने निर्णय लिया है कि बिजली के मामले में निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर बेवजह दबाव डालने की केंद्र की नीति के विरोध में व्यापक राष्ट्रीय अभियान चलाया जाएगा और जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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