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दीवान टोडर मल की हवेली को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए: गुमटाला

अमृतसर 27 अगस्त (वार्ता) अमृतसर विकास मंच के अध्यक्ष डाॅ. चरनजीत सिंह गुमटाला ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल से माँग की है कि फतेहगढ़ साहब में दीवान टोडरमल की हवेली को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर पुरातत्व विभाग को दिया जाये।
डॉ. गुमटाला ने श्री लोंगोवाल को पत्र लिख कर कहा कि इस हवेली के विरासती सूची में आने के साथ इस स्मारक को देखने के लिए विदेशों से भी यात्री आऐंगे। पर्यटक माता गुज़र कौर जी तथा छोटे साहिबज़ादे की शहादत और दीवान टोडरमल की तरफ से उनके अंतिम संस्कार के लिए किये गए योगदान से परिचित होंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के पुरातत्व विभाग के पास पुरानी इमारतों को संभालने के लिए साधन हैं जो एसजीपीसी के पास नहीं हैं।
उल्लेखनीय है इस इमारत का सिख इतिहास में विशेष स्थान है। आज जिस स्थान पर गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप सुशोभित है, की धरती को दुनिया की सबसे महँगी धरती माना गया है क्योंकि दीवान टोडर मल ने मुग़ल हकूमत की शर्तों पर श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादे बाबा ज़ोरावर सिंह जी, बाबा फ़तह सिंह जी और माता गुज़र कौर जी का अंतिम संस्कार करने के लिए 7800 सोने की मोहरें देकर यह स्थान खरीदा था। इस काम के लिए दीवान टोडर मल ने अपनी सारी जायदाद और घर, जिसको जहाज़ हवेली के तौर पर जाना जाता है, सिख कौम को अर्पित कर दी थी।
इस जहाज़ हवेली को 1980 में पंजाब सरकार ने सुरक्षित इमारत घोषित किया था लेकिन सरकार के सांस्कृतिक मामलों, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग ने ज़मीन अधिग्रहित नहीं की थी। इसका मालिकाना हक एक ट्रस्ट के पास था। वर्ष 2008 में एसजीपीसी ने ट्रस्ट से यह ज़मीन ले ली थी। इस समय इस इमारत की कोई देखरेख नहीं कर रहा है।
सं ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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