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कैदियों के प्रति समाज की धारणा बदलने की जरूरत: जयराम

कैदियों के प्रति समाज की धारणा बदलने की जरूरत: जयराम

शिमला, 19 सितम्बर (वार्ता) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कैदियों को भी समाज का हिस्सा बताते हुये कहा कि जो अधिकार आम आदमी के है वही अधिकार उनके भी हैं। ऐसे में कैदियों के प्रति समाज की धारणा में बदनाव जाने की जरूरत है।

श्री ठाकुर ने 16 राज्यों के जेल अधिकारियों के आज यहां आयोजित एक सम्मेलन में अपने सम्बोधन में कहा कि कैदी जिस वजह से भी जेल है उसे उसका अहसास होगा। ऐसी परिस्थिति में कैदियों को जिंदगी जीने का नया मौका दिया जाना चाहिए। उनके प्रति समाज की एक अलग धारणा होती है, जिसे बदलने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में अपराध काफी कम है और कैदियों की संख्या भी कम है लेकिन फिर भी जो कैदी जेल में है, कारागार विभाग उनके पुनर्वास के लिए बहुत बढ़िया काम कर रहा है। पुलिस मानवीय दृष्टिकोण से कैदियों को समाज से जोड़ने का सराहनीय प्रयास कर रही है। कारागार विभाग की पहल कैदियों को पुर्नस्थापित करने के लिए गेम चेंजर साबित हो रही है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि गलती किसी से भी हो सकती है। कई बार अनजाने में भी अपराध हो जाता है जिसकी सजा लोगों को भुगतनी पड़ती है। जेल जाने के बाद व्यक्ति अपनी जिंदगी को व्यर्थ मानने लग जाता है लेकिन ऐसा नहीं है उसे जिंदगी जीने का नया मौका मिलना चाहिये।

इस अवसर पर राज्य के पुलिस महानिदेशक(जेल) सोमेश गोयल ने कहा कि प्रदेश के 80 फीसदी कैदी अनपढ़ से 12 वीं पास है और उनकी उम्र 18 से लेकर 50 साल के बीच है। वर्ष 2016 तक 58 हजार कैदियों का कौशल विकास किया गया। नौ हजार कैदियों को कम्प्यूटर की शिक्षा दी गयी। कैदियों के पुनर्वास के लिए कोई नीति निधारित नहीं है। 40 गुणा कमाई के साधन गत 6-7 साल में प्रदेश के कैदियों के लिए बढ़ाए गए हैं। उन्होंने शिमला बुक कैफे को निजी हाथों में न देने की भी मुख्यमंत्री से मांग की ताकि इसकी पहचान पहले की तरह की बरकरार रहे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर जेल विभाग की “कॉफी बुक टेबल” का विमोचन भी किया।

सं.रमेश1730वार्ता

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