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कश्मीर के हालात को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए, केंद्र आर्थिक नुकसान की भरपाई करे : येचुरी

चंडीगढ़, 20 नवंबर (वार्ता) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने आज कहा कि कश्मीर के हालात को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए और केंद्र सरकार को पिछले सौ से ज्यादा दिनों में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर लाकडाऊन को सौ से ज्यादा दिन हो गये हैं और प्रदेश की अर्थ व्यवस्थ पूरी तरह चौपट हो गई है। केवल सेब उत्पादकों को दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। पर्यटन उद्योग ठप है। रोज कमाकर रोज खाने वाले सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने मांग की कि केंद्र को आर्थिक नुकसान की भरपाई के साथ नागरिकों के संवैधानिक अधिकार बहाल करे। बिना कानूनी आधार के हिरासत में लिये गये हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए।
श्री येचुरी ने यूरोपीय देशों के सांसदों को कश्मीर में लाने और भारतीय सांसदों व राजनीतिज्ञों को रोकने को लेकर केंद्र की आलोचना की।
उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस के लाठीचार्ज की भी कड़ी निंदा की।
सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले पर श्री येचुरी ने कहा कि फैसले से कुछ सवाल उठ खड़े होते हैं जैसे फैसले में माना गया है कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी था तो फिर जिन लोगों ने कानून का उल्लंघन किया उनकी सजा का क्या? श्री येचुरी ने कहा कि मामले को हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाद के तौर पर लिया गया जबकि यह जमीन पर अधिकार के दावे का मामला था। उन्होंने आशंका जताई कि सांप्रदायिक विभाजन बढ़ सकता है।
देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। जीडीपी विकास में गिरावट हुई है। औद्योगिक उत्पादन न्यूनतम हे और उपभोक्ता खर्च भी 40 साल में सबसे निचले स्तर पर है। उन्होंने कहा कि बेरोजगार 45 वर्ष में सबसे ज्यादा है। आटो इंडस्ट्री में उत्पादन में 30 फीसदी कटौती हुई है और जिसके परिणामस्वरूप दस लाख श्रमिकों की नौकरियां गई हैं। उन्होंने कहा कि कुल लगभग 30 लाख नौकरियों औद्योगिक उत्पादन में कटौती के कारण गई हैं।
माकपा नेता ने कार्पोरेट जगत के लोगों के पांच लाख करोड़ का कर्ज माफ करने को लेकर भी केंद्र की आलोचना की और कहा कि दूसरी तरफ हजारों किसान आत्महतया कर रहे हैं पर सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं।
उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आठ जनवरी को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े करोड़ों कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र की ‘जनविरोधी‘ नीतियों के खिलाफ जल्द ही वाम दल मिलकर ‘राष्ट्रीय जनांदोलन मंच‘ बनाएंगे जिसमें सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक दलों व लोगों को शामिल किया जाएगा।
महेश
वार्ता
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