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पाकिस्तान से दोस्ती के हक में लेकिन एसएफजे को शांति भंग नहीं करने देंगे: कैप्टन

पाकिस्तान से दोस्ती के हक में लेकिन एसएफजे को शांति भंग नहीं करने देंगे: कैप्टन

बरमिंघम, 25 नवम्बर(वार्ता) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति और दोस्ती की वकालत की है ताकि दोनों देश विकास और प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ सकें। उन्होंने लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भारत आईएसआई समर्थित सिख फॉस जस्टिस(एसएफजे) जैसी ताकतों को स्थिरता एवं सद्भाव खराब नहीं करने देगा।

कैप्टन सिंह ने यहां गुरू नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में रविवार को यहां भारतीय मूल के लोगों को सम्बोधित करते हुये यह बात कही। बाद में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने एसएफजे को एक कुख्यात आतंकवादी संगठन बताया जिसकी कोई वैचारिक बुनियाद नहीं है। एसएफजे के तथाकथित विधि सलाहकार गुरपंतवंत सिंह पन्नू को एक धोखेबाज और आईएसआई के इशारे पर चलने वाला व्यक्ति बताते हुये उन्होंने कहा कि उसका एकमात्र उदेश्य पंजाब और भारत को तोड़ना तथा आईएसआई का एजेंडा लागू करना है। पंजाब गत लगभग दो वर्षों के दौरान आतंक के मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने और इस सम्बंध में अनेक गिरफ्तारियां और हथियार बरामद किये जाने का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि इससे एसएफजे के कुस्तसित मंसूबे बेनकाब हुये हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी ताकतों के खिलाफ पंजाब और केंद्र सरकार सख्ती से निपट रही है।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने शांति, सद्भाव और वैश्विक समस्याओं के समाधान के गुरू नानक देव के फलसफे के अनुसार पड़ोसी देशों के साथ शांति एवं सौहार्दपूर्ण सम्बंधों की वकालत की और कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस पर सार्थकता से विचार कर पिछली बातों को भूल कर विकास के लिये दोस्ती की राह पर चलना चाहिये। उन्होंने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर के खुलने से भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बंधों को बेहतर बनाने की दिशा में शुरूआत हुई है तथा वह उम्मीद करते हैं कि इससे पाकिस्तान में स्थित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शनों का मार्ग भी प्रशस्त होगा। उन्होंने इसके लिये भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने बाद में अनौपचारिक बातचीत में पाकिस्तान सरकार से कारतारपुर जाने के लिये पासपोर्ट और 20 डॉलर फीस की शर्त समाप्त करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अजमेर शरीफ और निजामुद्दीय औलिया की दरगाह पर पाकस्तान से आने वालों के लिये ऐसा किसी शुल्क और शर्तें नहीं रखी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ईरान समेत राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में गुरू नानक पीठ स्थापित करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने इस मौके पर प्रवासी भारतीयों विशेषकर पंजाबियों से राज्य के औद्योगिक विकास में अपना सहयोग करने की अपील की। उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से पंजाब में पांच और छह दिसम्बर को होने वाले ‘प्रोग्रेसिव पंजाब निवेशक सम्मेलन“ में भाग लेने के लिये भी आमंत्रित किया। इस अवसर पर उन्होंने अनेक प्रवासी भारतीय को भी सम्मानित किया। इस मौके पर ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त रूचि घनश्याम और भी उपस्थित

इससे पहले बरमिंघम में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल के बाहर एसएफजे कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया हालांकि स्थानीय प्रशासन ने इन्हें तुरंत वहां से खदेड़ दिया। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि एसएफजे का प्रदर्शन पूरी तरह से बेअसर रहा तथा इसे यहां तक कि स्थानीय सिखों का भी समर्थन हासिल नहीं हुआ। इस दौरान केवल गिने चुने प्रदर्शनकारी ही वहां एकत्रित हुये लेकिन वे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में काेई व्यवधान पैदा करने में विफल रहे।

मुख्यमंत्री का कार्यक्रम लगभग तीन घंटे तक चला और वह इस दौरान वहां मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों को सम्बोधित करते हुये एसएफजे को पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई द्वारा समर्थित आतंकी संगठन करार देते हुये कहा कि इसका कोई वैचारिक आधार नहीं है। इस संगठन का एकमात्र उदेश्य सिख समुदाय में दरार पैदा कर देश और पंजाब को विभाजित करना है। उन्होंने कहा कि देश की एकता एवं अखंडता के सामने ऐसे संगठनों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि शांति और सद्भाव के लिये ऐसी किसी धमकी से निपटने के लिये देश और पंजाब सक्षम है।

रमेश1825वार्ता

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