राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Dec 13 2019 8:23PM पंजाबियों का पंजाबी से हो रहा मोह भंग, नहीं करना चाहते पंजाबी में स्नातकोत्तरजालंधर, 13 दिसंबर (वार्ता) पंजाब सरकार और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा राज्य में पंजाबी भाषा को उत्साहित करने के लिए किए जा रहे कई प्रकार के प्रयासों के बावजूद जलंधर के सभी कालेजों में पंजाबी विषय में स्नातकोत्तर विधार्थियों की संख्या में कमी आती जा रही है।जालंधर के हंस राज महिला विद्यालय (एचएमवी) कॉलेज में पंजाबी स्नातकोत्तर के प्रथम वर्ष में 11 विधार्थी और दूसरे वर्ष में सात, लधेवाली रीजनल कैंपस में प्रथम वर्ष में तीन और दूसरे वर्ष में छह स्टूडेंट और डीएवी कॉलेज में एम ए फर्स्ट ईयर तीन औऱ सेकंड ईयर में नौ स्टूडेंट है जबकि कुछ कालेजों में पंजाबी की एमए कक्षाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया है।एचएमवी कॉलेज की प्रिंसिपल अजय सरीन और पंजाबी की लेक्चरर कुलजीत कौर ने बताया कि पहले पंजाबी की स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए परीक्षा ली जाती थी और मेरिट के आधार पर बच्चों को एमए पंजाबी में दाखिला दिया जाता था लेकिन अब कई तरह के स्कॉलरशिप औऱ नाममात्र की फ़ीस के बावजूद स्टूडेंट पंजाबी में एमए नहीं करना चाहते। उन्होंने बताया कि पंजाबी में स्नातकोत्तर करने के पश्चात बच्चों का कोई भी भविष्य नहीं है और सभी जगह पर अंग्रेजी या हिंदी को प्राथमिकता दी जाती है। स्कूलों में भी इंग्लिश को ही प्राथमिकता दी जाती है जिसके कारण स्टूडेंट पंजाबी भाषा से मुह मोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के अधिकतर बच्चों का झुकाव बाहरी देशों की तरफ जाने का है जिसके कारण उनका झुकाव इंग्लिश की तरफ है। उन्होंने पंजाब सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि अगर पंजाब में पंजाबी भाषा को बचाना है तो पंजाबी में एमए करने वाले छात्रों के लिए रोजगार मुहैया करवाना होगा।पंजाबी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे छात्र ने कहा कि वह पंजाबी भाषा मे एमए कर रहे हैं लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिलेगा औऱ पंजाब सरकार को उनके लिए रोज़गार के अवसर पैदा करने होंगे। उन्होंने कहा कि वे पंजाबी की एमए नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें पंजाबी में कोई भी भविष्य नज़र नहीं आ रहा। सभी जगह पर प्रवेश परीक्षा या अन्य किसी प्रतियोगिता में पंजाबी को अहमियत नहीं दी जाती और समाज में भी एमए पंजाबी करने वालों को सम्मान नहीं दिया जाता।ठाकुर.श्रवण वार्ता