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निजी बिजली कंपनियों के साथ किए महंगे समझौते रद्द करने की मांग

चंडीगड़, 31 दिसंबर (वार्ता) पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने बिजली दरों में की जा रही बार बार वृद्धि के खिलाफ संघर्ष तेज करते हुये पिछली बादल सरकार में निजी कंपनियों के साथ किये मंहगे समझौतों को रद्द करने की मांग की है ।
आप पार्टी की सभी जिला इकाइयों ने मंहगी बिजली के विरोध में अपने-अपने जिला उपायुक्तों के जरिये सरकार को मांग पत्र सौंपे। पार्टी ने सरकार से मांग की है कि पिछली अकाली सरकार की तरफ से सरकारी थर्मल प्लांटों की कुर्बानी दे कर निजी थर्मल प्लांटों के साथ किये गए घातक और एकतरफा बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) रद्द किये जाएं।
पार्टी ने अपने ज्ञापन में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के घोषणापत्र के पेज नंबर 96,97 और 98 का विशेष तौर पर हवाला दिया है जिसमें निजी थर्मल कंपनियों के साथ किये समझौते रद्द करने और पावर काम की पिछले पांच सालों की कारगुजारी का आडिट करवाने समेत कुल 10 वायदे किये गए थे।
आप ने आरोप लगाया कि अमरिन्दर सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किये इन दस वायदों में से एक भी वायदा पूरा नहीं किया जिस कारण निजी बिजली कंपनियों के दबाव में बार-बार बिजली महंगी की जा रही है। मोटी हिस्से के लिए बादलों ने सरकारी थर्मल प्लांटों की बलि दे दी। मिसाल के तौर पर कोयला खानों की धुलाई (वाशिंग) का खर्च भी पंजाब का हर अमीर-गरीब अपनी जेब से करवा रहा है। पहली जनवरी से प्रति यूनिट 30 पैसे लागू हुआ विस्तार कोयला की धुलाई की 1400 करोड़ रुपए की एक किश्त का नतीजा है। इसी तरह की 1300 करोड़ रुपए की बकाया राशि की गाज अगले एक -दो महीनों में गिरने जा रही है।
बिजली मोर्चे की कमान संभाल रहे बरनाला के विधायक मीत हेयर ने कहा कि कैप्टन सरकार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार की बिजली नीति से सबक लेने की जरूरत है क्योंकि पिछले पांच सालों में वहां बिजली महंगी होने की जगह सस्ती हुई है। नये साल के पहले हफ्ते में पंजाब सरकार बिजली सस्ती करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती तो आप 7 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए मजबूर होगी।
शर्मा
वार्ता
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