चंडीगढ़, 07 जनवरी (वार्ता) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज अकाल तख्त कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के उस बयान को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की कि सिख भारत में भी सुरक्षित नहीं हैं और तख्त से अनुरोध किया कि वह अकालियों पर केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से नाता तोड़ने के लिए दबाव डालें क्योंकि यह गठबंधन देश के अल्पसंख्यकों में सुरक्षा की भावना सुनिश्चित नहीं कर पाया।
हालांकि सिख भारत में सुरक्षित नहीं हैं, इससे कैप्टन अमरिंदर खुद सहमत नहीं हैं पर उन्होंने कहा कि यदि जत्थेदार को ऐसा लगता है तो उन्हे यह मामला शिरोमणि अकाली दल के समक्ष उठाना चाहिए और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार से अलग हाेने को कहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यहां जारी बयान में कहा कि पाकिस्तान के विपरीत भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता इसलिए सिख समुदाय में यह भावना होना कि वह यहां सुरक्षित नहीं हैं, चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार जैसा कि कह रहे हैं, यदि सिख देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, चूंकि अकाली सिख धर्म और समुदाय के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्हें इस मुद्दे पर रुख लेना चााहिए और शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को पत्नी हरसिमरत कौर बादल को केंद्र में मंत्री पद से इस्तीफा देने को कहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि कुछेक घटनाओं से यह नहीं माना जाना चाहिए कि सिख भारत में सुरक्षित नहीं हैं पर ऐसी धारणा भी हकीकत से कम महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि 80 के दशक में सिख भयावह समय देखा है और असुरक्षा की भावना उनमें फिर से भय की भावना पैदा कर सकती है जो न समुदाय के लिए और न देश के लिए उचित होगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर शिरोमणि अकाली दल के दोहरे रवैये का जिक्र करते हुए कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि अकालियों से देश में अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें महसूस करना चाहिए कि वह एक साथ दोनों बातें नहीं कर सकते कि अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में विफल रही केंद्र सरकार का हिस्सा भी बने रहें और अल्पसंख्यकों के संरक्षक बने रहने का दावा भी करते रहें।
महेश विजय
वार्ता