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भारी हिमपात से बागवानों के चेहरे खिले

शिमला, 09 जनवरी (वार्ता) हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी होने से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है लेकिन बागवानों के चेहरे खिल उठे हैं ।
बागवानों का कहना है कि भारी बर्फ पड़ने से सेब की बेहतर पैदावार होने की उम्मीद बढ़ गई है। सेब इस बार बीमारियों से दूर रहेगा और नमी गर्मियों तक बनी रहेगी । बारिश के परिणामस्वरूप सेब सीजन में बागवानों को अच्छी आय होने की संभावना बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बागवानी के तहत 2.32 लाख हेक्टेयर भूमि पर 38 फल पैदा होते हैं। बागवानी उत्पादन के तहत सेब का उत्पादन सर्वाधिक होता है। प्रदेश के 6 जिलों में सेब का उत्पादन किया जा रहा है। शिमला जिला इसमें अव्वल है।
इसके अलावा कुल्लू, मंडी, सोलन, सिरमौर, किन्नौर व चंबा जिलों में भी सेब की पैदावार होती है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान प्रदेश में करीब साढे तीन करोड़ सेब की पेटियों का उत्पादन हुआ था। समूचे प्रदेश में हो रही बर्फबारी व बारिश से बागवानी और कृषि को भरपूर लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। रबी की फसल में गेहूं का उत्पादन दोगुना हो सकता है। ताजा बर्फबारी होने से सेब के लिए आवश्यक नमी की जरूरत पूरी हो गई है। जमीन में इतनी नमी है कि 1200 घंटों लिए सेब के पौधे व दूसरे फलदायक वृक्षों के लिए नमी पर्याप्त रहेगी। प्रदेश में 38 किस्म के फलों की पैदावार होती है। सेब के अलावा आम, अमरूद, लीची, अंगूर, कीवी व दूसरे फलों का उत्पादन भी लगातार बढ़ रहा है।
कृषि विभाग के निदेशक डाॅ. आर के कौंडल ने बताया कि रबी की फसल के लिए यह बारिश बेहद उत्तम साबित होगी। गेहूं के साथ-साथ दालों व तिलहन की फसलों का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। इस बारिश से गेहूं का दाना बड़ा होगा।
उन्होंने बताया कि रबी की फसल के तहत प्रदेश में 5.30 लाख हेक्टेयर भूमि आती है जिसमें से 3.40 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं का उत्पादन होता है। रबी उत्पादन के तहत 7.30 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने की आशा है। जिसमें से 6.51 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होने की उम्मीद जताई जा रही है।
सं शर्मा
वार्ता
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