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ठाेस, तरल कूड़ा निस्तारण के लिये सस्ता मॉडल विकसित करने की जरूरत: एनजीटी

गुरूग्राम, 11 जनवरी(वार्ता) राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत) आदर्श कुमार गोयल ने देश में ठोस व तरल कूड़ा निस्तारण के लिए सस्ते और सतत मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें आम नागरिकों, एनजीओ, संस्थाओं व सरकारी अधिकारियों सभी को शामिल किया जाए।
न्यायमूर्ति गोयल ने आज यहां पर्यावरण विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुये कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार के अंतर्गत स्वच्छ पर्यावरण नागरिकों का मौलिक अधिकार है और राज्य इस अधिकार को प्रदान करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इसमें केवल सरकारी अधिकारी ही नही बल्कि हम सभी नागरिक आते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य अकेले सरकार नहीं कर सकती और उसमें सभी नागरिकों के सहयोग की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास नारे का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि यह केवल एक नारा नहीं है बल्कि हमारी संस्कृति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें सभी को साथ लेकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करें और सरकार इसके लिए बेहतर नेतृत्व प्रदान करे।
न्यायमूर्ति गोयल नेे कहा कि 50 साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए इतनी गंभीर समस्या हो जाएगी। हम नदी का पानी नहीं पी सकेंगे और साफ हवा में सांस नहीं ले सकेंगे। वर्ष 1972 में स्कॉटहोम कान्फ्रेंस में विश्व के कई देशों ने पहली बार इस विषय पर चिंता जाहिर की और कहा कि प्रकृति से जितना हम ले रहे हैं अगर हमने वापिस नहीं दिया तो हमारे लिए गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लाखों ग्रहों में से सिर्फ पृथ्वी ही ऐसा गृह है जहां पर जीवन है। अगर हम प्रकृति से लेने और उसे वापिस लौटाने में संतुलन नहीं रखेंगे तो प्रलय आना तय है। अगर हमें दुनिया को बचाना है तो पर्यावरण को भी बचाना होगा।
देश में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश की 351 नदियां, 122 शहर और 100 औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से प्रदूषित हो चुके हैं। स्थिति ज्यादा गंभीर है और इसका समाधान करने की क्षमता भी हमारे पास है लेकिन यह पता ही नहीं है कि हमें करना क्या है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण और गंदगी का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया जा सकता है। उन्होंने अत्यधिक भूजल दोहन रोकने और प्रयुक्त पानी का शोधन कर इसे पुनः प्रयोग करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कान्फ्रेंस के आयोजन के लिए हरियाणा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम न केवल हरियाणा को नया रास्ता दिखाएगा बल्कि आशा है कि इससे पूरे देश को नई दिशा मिलेगी।
न्यायमूर्ति प्रीतम पाल ने इस मौके पर अपने सम्बोधन में हरियाणावासियों का आहवान किया कि अगले 30 दिन के बाद राज्य से गुजरने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्यीय राजमार्ग तथा रेल पटरियों के साथ गंदगी नहीं दिखाई देनी चाहिये। उन्होंने आशा जताई कि हरियाणावासी इसे जरूर पूरा करेंगे। उन्होंने चूंकि यह सम्मेलन गुरूग्राम में हो रहा है इसलिए पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण कम करने की दिशा में गुरूग्राम तथा हरियाणा को मॉडल के रूप में बनकर उभरना चाहिए ताकि यह राज्य दूसरों के लिए अनुकरणीय बन सके। उन्होंने कहा एक महीने के उपरांत जिस भी जिले में राजमार्ग तथा रेल पटरियों के साथ सफाई का सराहनीय कार्य पाया जाएगा उस जिले के अधिकारियों को सम्मानित करने की अनुशंसा की जाएगी।
रमेश1920जारी वार्ता
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