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विवादित सीएए को विघटनकारी ,पक्षपातपूर्ण और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को तहस नहस करने वाला कानून बताते हुये कैप्टन सिंह ने इस कानून की तुलना हिटलर से की और कहा कि हमने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया । उन्होंने केन्द्र से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)से संबंधित फार्माें या दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन किये जाने तक इसका कार्य रोकने की अपील की ।

संसदीय मामलों के मंत्री ब्रहम मोहिंद्रा ने सदन में पेश किये गये इस प्रस्ताव को संविधान की धारा 14 की उल्लंघना तथा विघटनकारी करार दिया ।
इस प्रस्ताव में कहा गया कि मुसलमानों तथा यहूदियों समेत अन्य भाइचारे को सीएए के तहत नागरिकता देने का कहीं विवरण नहीं । मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर जरनल जैकब के नाम का उल्लेख किया जिन्होंने 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई । वह पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक भी रहे । भाजपा उनके योगदान को याद कर यहूदियों को भी इसमें शामिल कर सकती थी ।
इस प्रस्ताव के जरिये केन्द्र सरकार को धार्मिक आधार पर नागरिकता देने तथा पक्षपात छोड़ने और भारत में सारे धार्मिक समूहों को कानून में बराबरी को सुनिश्चित करने के लिये इस एक्ट को रद्द करने का आग्रह किया ।
सदन के बाहर पत्रकारों से मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सीएए को पंजाब या इसका विरोध करने वाले अन्य राज्यों में लागू किया जाता है तो केन्द्र सरकार को इसमें आवश्यक संशोधन करना चाहिये । केरल की तरह उनकी सरकार भी इस मुद्दे पर पर उच्चतम न्यायालय की शरण लेगी । पंजाब में एनपीआर पुराने मापदंडों पर की जायेगी तथा केन्द्र की ओर से एनपीआर में जोड़े गये हिस्से को शामिल नहीं किया जायेगा ।
शर्मा
वार्ता
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