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युवा पीढ़ी की सकारात्मक सोच से देश आगे बढ़ सकता है: आर्य

युवा पीढ़ी की सकारात्मक सोच से देश आगे बढ़ सकता है: आर्य

कुरूक्षेत्र, 22 जनवरी(वार्ता) हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा है कि युवा पीढ़ी की सकारात्मक सोच से ही देश आगे बढ़ सकता है और उन्हें राष्ट्रहित में अपनी उर्जा का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिये ताकि भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बन सके।

श्री आर्य ने आज यहां कुरक्षेत्र विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि अपने सम्बोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को अपने लक्ष्यों हासिल करने के लिए अच्छी शिक्षा और संस्कार ग्रहण करने होंगे। इसी सोच को जहन में रखकर सरकार युवाओं के लिए प्रदेश में बड़े शिक्षण संस्थान स्थापित कर रही है। उन्होंने दीक्षांत समारोह में डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया और इस पावन धरा पर ही यह विश्वविद्यालय देश की भावी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा और संस्कार देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों ने त्याग और तपस्या के साथ शिक्षा ग्रहण की जिसका परिणाम आज उन्हें मिला है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा से ही विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सम्भव है। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर युवा बड़ी कम्पनियों में काम कर रहे है और प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की प्रगति के लिए युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास, डिजि़टल इंडिया, फिट इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्वच्छ और स्वस्थ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम किया। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा शिक्षण संस्थानों और शिक्षा के क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर है। आबादी के मामले में हरियाणा का भले ही देश में दो प्रतिशत हिस्सा है लेकिन विश्वविद्यालयों के हिसाब से हरियाणा का छह प्रतिशत हिस्सा है। आज प्रदेश में 23 विश्वविद्यालय और 820 महाविद्यालय हैं। वर्ष 1966 में प्रदेश में छह तकनीकी शिक्षण संस्थान और एक इंजिनियरिंग कालेज था, लेकिन आज 187 बहु-तकनीकी संस्थान और 150 इंजिनियरिंग कालेज स्थापित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी देश का भविष्य हैं इसलिए राज्य सरकार युवा पीढ़ी का भविष्य उज्जवल और उन्हें अनुशासित बनाने का काम कर रही है। राष्ट्रीय एकता और देश की प्रगति में अनुशासित विद्यार्थी ही अपना योगदान दे सकता है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय जैसे महान विचारकों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद करने तथा अमीर, गरीब, छोटे और बड़े व्यक्ति के लिए शिक्षा जरुरी होने की बात कही थी। संविधान निर्माता डा. भीमराव अम्बेडकर ने भी शिक्षा के महत्व को समझा और देशवासियों से शिक्षित बनने, संगठित रहने और संघर्ष करने के तीन सूत्र अपने जीवन में अपनाने के लिए कहा। इसी प्रकार स्वामी दयानंद ने सकारात्मक सोच के साथ काम करने के लिए कहा है।

इससे पूर्व श्री आर्य ने दीक्षांत समारोह में सत्र 2018-19 के 13 एमफिल, 181 पीएचडी समेत विभिन्न संकायों के कुल 2405 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान कीं। उन्होंने कला एवं भाषा संकाय से अर्पिता साहनी, समाज विज्ञान संकाय से कुलबीर, जीव विज्ञान संकाय से मोहित शर्मा, विज्ञान संकाय से दिव्या शर्मा, विज्ञान संकाय से हिमांशी बंसल, शिक्षा संकाय से सतेंद्र, प्राच्य विद्या संकाय से कुसुम, विधि संकाय से प्रियंका वर्मा, वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय से सोनिया रानी और अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय से शिल्पा नागपाल को अपने संकायों में प्रथम स्थान हासिल करने पर गोल्ड पदक और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा मुल्यांकन एजेंसी ने विश्वविद्यालय को ए-प्लस ग्रेड और स्वायत्त विश्वविद्यालयों की श्रेणी में पहला स्थान और राज्य विश्वविद्यालय की श्रेणी में 8वां स्थान दिया है और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने विश्वविद्यालय को सेंटर ऑफ एक्सीलैंस बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए की अनुदान राशि दी। इस राशि से विश्वविद्यालय में नए शोध केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने अभी हाल में ही गोयल पुरस्कार के तहत देश के सात वैज्ञानिकों को सम्मानित किया है। विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध, खेलों, सांस्कृतिक गतिविधियों देश में अग्रणी रहा है। इतना ही नहीं फरवरी माह में इसी विश्वविद्यालय के प्रांगण में नौ देशों के 600 विद्यार्थी युवा महोत्सव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। इस मौके पर अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

रमेश1830वार्ता

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