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घोड़ी की संक्रामक बीमारी ‘ग्लैंडर्स‘ से मौत के बाद की जा रही है घोड़ों की जांच

हिसार, 24 जनवरी (वार्ता) हरियाणा के हिसार में शादी समारोह में दूल्हे को बैठाने के लिए प्रयोग होने वाली एक घोड़ी की जानलेवा संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स से मौत और दूसरी एक घोड़ी के इस बीमारी से ग्रस्त पाये जाने के बाद चिकित्सक अन्य घोड़ों की जांच के लिए भी सैंपल जुटा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सैनियान मोहल्ले की एक घोड़ी की मौत पांच दिन पहले हो चुकी थी, जिसके बाद उसीके साथ रहने वाली दूसरी एक घोड़ी बुधवार को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार के निदेशक डा. बीएन त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रधान वैज्ञानिक डा. एच सिंघा सहित तीन विशेषज्ञों की टीम ने सैंपल लिया, जिसका एलाइजा टेस्ट पॉजिटिव आया है। इसके बाद चिकित्सकों ने हिसार में दूसरे घोड़ों की जांच के लिए भी सैंपल लेने का काम शुरू किया जाएगा।
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गांठें आदि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है। यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है और बीमारी होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है।
चिकित्सकों के अनुसार घोड़ों से मनुष्यों में भी बीमारी पहुंच सकती है, जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर उपचार करते हैं, उनको खाल, नाक, मुंह और सांस के जरिये संक्रमण हो जाता है। मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है।
केंद्र के अनुसार इस साल जनवरी के 20 दिनों में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के पास सबसे अधिक घोड़ों में ग्लैंडर्स जांचने को उत्तर प्रदेश से सैंपल आए हैं। इनमें से गाजीपुर जिला में 8 घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी पाई गई है। इसमें से कुछ घोड़ों की मृत्यु भी हो चुकी है। पांच सैंपलों की अभी जांच की जा रही है।
सं महेश
वार्ता
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