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केन्द्र की गलत नीतियों का खामियाजा सहायक कृषि को भुगतना पड़ा :बाजवा

चंडीगढ़, 28 जनवरी(वार्ता)केंद्र सरकार की नोटबंदी, जी.एस.टी. और सी.ए.ए. जैसी गलत नीतियों के कारण सहायक कृषि धंधे बुरी तरह प्रभावित हुये है जिस कारण सहायक कृषि के साथ जुड़े किसानों को भारी नुकसान बर्दाश्त करना पड़ रहा है।
ग्रामीण विकास एवं पशु पालन, डेयरी विकास और मछली पालन मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने आज यहाँ फिक्की और नाबार्ड के लाइवलीहुड्ड फोरम-2020 की ओर से आयोजित कान्फ्रेंस में कहा कि इन सभी समस्याओं के बावजूद छोटे और मंझोले किसानों को बचाने के लिए सहायक कृषि धंधों को विकसित, मज़बूत और उत्साहित करना समय की जरूरत है। उन्होंने सहायक कृषि की सफलता के लिए अंतरराष्ट्रीय ओपन मार्केट की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। किसानों को बिना किसी रोक के इंटरनेशनल मार्केट में अपने उत्पाद बेचने की आजादी दी जानी चाहिए।
श्री बाजवा ने कहा कि सहायक कृषि सम्बन्धी नीतियां तैयार करते समय किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है। सफलता और असफलता के सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए कृषि, डेयरी, पशु पालन, बाग़वानी और अनुसंधान संस्थाओं द्वारा साझे तौर पर नीतियाँ तैयार की जानी चाहिए। सहायक कृषि धंधों की सफलता के लिए उत्पादन लागत बहुत महत्वपूर्ण है जिसको नीतियाँ तैयार करते और लागू करते समय ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं और सरकार को यह यकीनी बनाना चाहिए कि सहायक कृषि धंधों के साथ जुड़े किसानों को वाजिब कीमतों पर आधुनिक प्रौद्यौगिकी मुहैया करवाई जाये और प्रयोक्ताओं को मानक उत्पादों की आपूर्ति की जाये। किसानों को अपने उत्पादों का मूल्य बहुत ही कम मिलता है जबकि प्रयोक्ताओं को उसका मूल्य काफ़ी अधिक देना पड़ता है। इस अंतर को दूर करने की ज़रूरत है ताकि किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमत मिल सके जो कृषि सहायक धंधों को लाभकारी बनाने में सहायक होगा।
मंत्री ने कहा कि किसानों को मिट्टी की जांच सम्बन्धी सेवाएं वाजिब कीमतों पर उनके द्वार पर ही मुहैया करवाई जानी चाहिए। स्टरलाईजेशन से उत्पादकता में वृद्धि होती है जिसके लिए नाबार्ड और अन्य संस्थाओं को इस सेवा के लिए सहायता प्रदान करने के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि अकेले किसान इन सेवाओं के भारी खर्चे को सहन नहीं कर सकते। कृषि सहायक धंधों को विकसित करने के लिए नाबार्ड को कुदरती आपदाओं या किसी बीमारी के कारण फसलों के नुकसान या पशुओं की मौत का नुकसान भी वहन करना चाहिए।
श्री बाजवा ने कहा कि रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल और भूजल के घटते स्तर के कारण पंजाब की धरती बंजर होती जा रही है। इससे किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। पंजाब को बारिश का पानी संरक्षित करने के लिए तकनीकें विकसित करनी चाहिये और पानी की बर्बादी को रोकना चाहिए।
शर्मा
वार्ता
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