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बॉलीवुड के वजाय अब फोकस हरियाणा पर, दादा लख्मीचंद फिल्म अगस्त से पहले: यशपाल

बॉलीवुड के वजाय अब फोकस हरियाणा पर, दादा लख्मीचंद फिल्म अगस्त से पहले: यशपाल

हिसार, 06 फरवरी (वार्ता) बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा ने कहा है कि बॉलीवुड के वजाय अब उनका फोकस हरियाणा फिल्म उद्याेग को बढ़ावा देने पर रहेगा।

श्री शर्मा ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हरियाणा के मशहूर सांग एवं रागनी लेखक दादा लख्मीचंद का व्यक्तित्व और कृतित्व इतना व्यापक है कि उन पर फिल्म दो भागों में बनानी पड़ेगी। प्रथम भाग की शूटिंग हो चुकी है और सम्भवत जुलाई-अगस्त तक लोग इस फिल्म को सिनेमाघरों पर देख सकेंगे। उनका दावा है कि यह फिल्म हरियाणा की अब तक की सभी फिल्मों से उत्तम रहेगी और चंद्रावल से भी ज्यादा दर्शक इसे देखने पहुंचेंगे।

उन्होंने बताया कि फिल्म पगड़ी के बाद वह हरियाणा पर ही वर्ष 2016 से फोकस किये हुये हैं। दादा लख्मी चंद उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है, क्योंकि उनका जीवन उतार-चढ़ाव और रोचकता से भरपूर है। आजकल वह बालीवुड में बंटी-बबली-2, पानवाला और मूसो फिल्मों में काम कर रहे हैं। पानवाला और मूसो में वह प्रमुख भूमिका में हैं। उनकी सभी फिल्में उनके दिल के करीब हैं लेकिन अब तक 56(नाना पाटेकर) और मूसो के रोल में मुझे संतुष्टि प्राप्त हुई है। अब उन्होंने फिल्मों के निर्देशन का कार्य भी शुरू किया है। दादा लख्मी चंद फिल्म को हिंदी और अग्रेजी दोनों भाषाओं में बनाया जाएगा ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज किया जा सके।

उल्लेखनीय है कि गंगाजल, लगान, अपहरण और सिंह इज किंग आदि फिल्मों में यशपाल शर्मा के अभिनय की प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर हुई है। दास केपिटल में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी। आरक्षण में उन्होंने अमिताभ बच्चन और टयूब-लाईट में सलमान खान के साथ अभिनय किया था। वह हरियाणा की फिल्म उद्योग को प्रोत्साहन देने हेतू नीति निर्धारण समिति के भी सदस्य हैं और उन्होंने सरकार को अपने अनुभव के आधार पर अमूल्य सुझाव भी दिए हैं ताकि हरियाणवी संस्कृति का प्रचार, प्रसार एवं संरक्षण हो सके।

उन्होंने बताया कि दादा लख्मी चंद फिल्म राज्य में फिल्म उद्योग की दिशा और दशा निर्धारित करेगी। इसलिए दर्शकों को अधिकाधिक संख्या में इसे प्रोत्साहित करना चाहिए और सिनेमाघरों में जाकर उस सूर्यकवि की प्रतिभा और कला को जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह किसी के भरोसे नहीं रहेंगे और अपने काम की गुणवत्ता के बल पर आगे बढ़ेंगे। असली अभिनय वह है जो किया नहीं जाता परंतु हो जाता है और उसमें शरीर, आत्मा, मन और मस्तिष्क एक हो जाते हैं। तभी दर्शक वाह-वाह कर उठते हैं।

सं.रमेश1930वार्ता

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