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राज्य योजना बोर्ड की वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7900 करोड़ रूपये की योजना को मंजूरी

शिमला, 17 फरवरी (वार्ता) हिमाचल राज्य योजना बोर्ड ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7900 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को स्वीकृति प्रदान की है तो चालू वित्त वर्ष 2019-20 से 11 प्रतिशत यानि 800 करोड़ रुपये अधिक है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज यहां राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की जिसमें राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला सहित कैबिनेट मंत्री और अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि सामाजिक सेवा क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए 3487.24 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो समूची पूरी वार्षिक योजना का 44.14 प्रतिशत है। परिवहन और संचार क्षेत्र के लिए 1393.89 करोड़ रुपये, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 974.29 करोड़ रुपये, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण हेतु 508.05 करोड़ रुपये, ऊर्जा क्षेत्र के लिए 499.05 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन अभी भी बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। राज्य ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। पुरुष और महिला साक्षरता दर में अंतर पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसे कम करने के प्रयासों पर जोर दिया और कहा कि इससे महिला सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में आयु संभाव्यता दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर है जो लोगों को प्रदान की जा रही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कम उत्पादकता दर भी चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत तथा अन्य राज्यों से अधिक रही है जो वर्ष 2018-19 में 10.12 प्रतिशत वृद्धि के साथ 1,76,968 रुपये रही। उन्होंने बताया कि बाह्य शौचमुक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिक्किम के बाद हिमाचल प्रदेश दूसरा राज्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए राज्य की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए फसल उत्पादन बढ़ाने पर अधिक बल दिया जाना चाहिए। किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल उन्हें अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी।
महिला सशक्तिकरण पर बल देते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी बड़े स्तर पर सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि वे राज्य के विकास में सहयोगी बन सकेे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं आरम्भ की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के न्यायसंगत विकास के लिए विशेष रूप से केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं जैसे केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) और नाबार्ड आदि का विवेकपूर्ण वित्त पोषण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने योजना विभाग द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन भी किया।
सं.रमेश1950वार्ता
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