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समानता, मुक्ति संघर्षों का प्रतीक है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : उषा सरोहा

गुड़गांव, 08 मार्च (वार्ता) अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की हरियाणा इकाई की अध्यक्ष उषा सरोहा ने आज कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की समानता और मुक्ति के लिए हुए संघर्षों और उपलब्धियों का प्रतीक है।
वह यहां एडवा की जिला कमिटी की तरफ से कमला नेहरू पार्क में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन के अवसर पर बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि 1889 में पेरिस में हुई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर कॉन्फ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय महिला आंदोलन की जनक क्लारा जेटकिन ने महिलाओं के लिए समान अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाई और 8 मार्च 1908 को न्यूयॉर्क की महिला मजदूरों ने काम के घंटे निश्चित करने, पूरी मजदूरी देने और वोट का अधिकार देने की मांग उठाई जिसके बाद 1910 में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि यह दिन असमानता के खिलाफ महिलाओं और मजदूर वर्ग की मुक्ति संघर्षों के बीच गहरे भाईचारे का प्रतीक है।
इस अवसर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के राज्य उपाध्यक्ष सतवीर सिंह ने महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ बड़ी संख्या में महिलाओं के सड़क पर उतरने का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को भारत देश को एक धर्म के दबदबे वाला देश ना बनाकर, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर
(एनआरसी), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के नाम पर फिजूलखर्ची बंद कर लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोजगार आदि पर खर्च करना चाहिए।
सं महेश
वार्ता
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