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मौसम के बिगड़े तेवर ने बढ़ाई किसानों की चिंता

जींद, 11 मार्च (वार्ता) हाल में हुई बारिश तथा ओलावृष्टि की मार से किसान अभी उभरे नहीं थे कि एक बार फिर मौसम के करवट बदलने से किसानों के चेहरे मुरझा गये हैं ।
रातभर रूक रूक कर हुई बूंदाबांदी ने किसानों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। किसानों को यह भय सताता रहा कि कहीं मौसम के बिगड़े तेवर उनकी बची हुई फसलों का बंटाधार न कर दें। उधर, कृषि विभाग कार्यालय में बेमौसमी बारिश से खराब हुई फसल के मुआवजा आवेदन को लेकर किसानों की लाइन लगी रही। वहीं, बूंदाबांदी के कारण उखाड़ी गई सड़कों तथा गलियों में कीचड़ होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बूंदाबांदी के चलते अधिकत्तम तथा न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को अधिकत्तम तापमान 23 डिग्री, न्यूनतम तापमान 14 डिग्री दर्ज किया गया।
मौसम में आद्रता 57 प्रतिशत व हवा की गति 24 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई। पिछले एक पखवाड़ा से मौसम के उतार-चढ़ाव ने किसानों को परेशानी में डाला हुआ है। पिछले चार दिनों तक मौसम खराब होने के चलते हुई बारिश तथा ओलावृष्टि के कारण गेहूं, सरसों, सब्जियों को व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ था। किसान बेमौसमी बारिश की मार से उभरे नहीं थे कि एक बार फिर मौसम के बिगड़ैल तेवरों ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया। मंगलवार को दिनभर धूप खिली रही तो शाम को मौसम ने करवट ली और हलकी बूंदाबांदी हुई। रातभर आकाश में बादल छाये रहे और हलकी बूंदाबांदी होती रही। यह सिलसिला बुधवार सुबह तक जारी रही। हालांकि ज्यादा बारिश नहीं हुई, दोपहर को धूप भी खिली लेकिन हवा की तेज गति परेशानी बनी रही। बेमौसमी बारिश का पानी फसलों से निकला नहीं था कि हवा की तेज गति से फिर से फसलों पर खतरा मंडराने लगा।
किसानों का कहना है कि बेमौसमी बारिश तथा ओलावृष्टि से उनकी फसलों को अच्छा खासा नुकसान हुआ है। अब फिर मौसम के तेवर बिगड़े हुए हैं, कहीं मौसम के ये तेवर उनकी बची हुई फसलों को बर्बाद न कर दें। चार दिन पहले हुई बेमौसमी बारिश ने शहरी इलाकों में भी परेशानी पैदा कर दी थी। तीन दिन मौसम साफ रहने के चलते दलदल बनी सड़कों तथा गलियों में आवागमन शुरु हो पाया था और कुछ राहत मिली थी। रात को बूंदाबांदी होने के चलते फिर से गलियां तथा बदहाल हो गई। जगह-जगह कीचड़ जमा हो गया, जिसके चलते आवागमन प्रभावित हो गया। इसके अलावा कुछ स्थानों पर सीवरेज सिस्टम के ठप होने के कारण गलियों में पानी भी जमा हो गया।
लोगों का कहना है कि पूरा शहर खुदा पड़ा है, उनके काम धंधे चौपट हो चुके हैं। अब हर रोज मौसम के तेवर भी बिगड़े रहते हैं, हलकी बूंदाबांदी से ही रास्ते बाधित हो रहे हैं और उनका घर से निकलना दूभर हो गया है।
पांडू पिंडारा कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक ने बताया कि बेमौसमी बारिश से फसलों तथा सब्जियों को नुकसान हुआ है। आगे भी मौसम परिवर्तनशील है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे खेतों में खड़ा पानी निकालें ।
सं शर्मा
वार्ता
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