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आम लोगों पर पुलिसिया दमन की मजदूर संगठनों ने की आलोेचना

लुधियाना, 26 मार्च (वार्ता) पंजाब के मजदूर संगठनों ने कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लगाये 21 दिनों के लॉकडाऊन के दौरान मजबूरी में घर से निकलने वाले आम लोगों पर पुलिसिया दमन की आज आलोचना की।
टेक्सटाइल होजियरी कामगार यूनियन व कारखाना मजदूर यूनियन की कल बैठक के बाद आज राजविंदर व लखविंदर ने संयुक्त रूप से जारी बयान में केंद्र व राज्य सरकारों की सख्त निंदा करते हुए कहा कि कोरोना बीमारी की आफत में जनता की मदद करने के बजाय नाजायज पांबदियां थोप दी गई हैं। उन्होंने कहा कि दवा-इलाज, राशन आदि जैसी
बेहद ज़रूरी आवश्यकताओं के लिए घरों से निकले लोगों का पुलिस की तरफ से भयानक दमन व सामाजिक
अपमान किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य व अन्य जरूरी सेवाओं में लगे मजदूरों से मारपीट की जा रही है और उन पर केस डाले जा रहे हैं, जन-संगठनों को लोगों को जागरुक करने व मदद करने की कोई आजादी नहीं दी जा रही।
मजदूर नेताओं ने आरोप लगाया कि जनता तो पहले ही गरीबी, मंहगाई, बदहाली, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी आदि से जूझ रही है।
मजदूर नेताओं ने कहा कि इटली, जापान, चीन जैसे देशों में भी सरकारों की तरफ से इस किस्म की पांबदियां
नहीं थोपी गईं।
संगठनों ने मांग की है कि सरकार को नि:शुल्क कोरोना टेस्टिंग की व्यवस्था के अलावा बंद के मद्देनजर केंद्र देश के सभी मज़दूरों-मेहनतकशों के लिए 10,000 रूपए भत्ता तुरंत जारी करना चाहिए। इसके अलावा राशन, दूध, साफ पानी, सब्जियों, दवाइयों आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की घरों तक नि:शुल्क पहुंच सुनिश्चित की जाए। आवश्यक चीजों की कालाबाज़ारी पर पूर्ण रोक लगे, कोरोना महामारी का फायदा उठाकर केंद्र व राज्य सरकारें
जनता के जनवादी अधिकारों पर हमले करने करने बंद करे व नाजायज पाबंदियां हटाई जाएं।
संगठनों ने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पूरी तरह से रद्द करे और इसके लिए रखी राशि 21 दिनों के लॉकडाऊन के दौरान जनता को अधिकारिक सुविधाएं देने के लिए खर्च करे।
सं महेश विक्रम
वार्ता
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