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हरियाणा. दलाल-किसान दो अंतिम चंडीगढ़

श्री दलाल ने कहा कि लक्षित एक लाख हेक्टेयर भूमि में 10,000 हेक्टेयर बागवानी की फसलों की खेती के लिए आरक्षित रखा गया है। बागवानी को बढ़ावा देने के लिए बागवानी फसलों के बीजों पर सब्सिडी दी जाएगी। इसी तरह कोरोना महामारी के दौरान खरीद प्रक्रिया को सुचारू रुप से चलाने और किसानों को मंडियों में अपनी उपज लाने के लिए अधिक दूरी तय न करनी पड़े, इसके लिए मंडियों की संख्या बढ़ाई गई। रबी सीजन 2020 के दौरान गेहूं के लिए 1831 और सरसों के लिए 162 खरीद केंद्रों की स्थापना की गई है। अब तक 604.77 लाख क्विंटल गेहूं और 54.20 लाख क्विंटल सरसों की मंडियों में आवक हो चुकी है। सरकार किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदेगी। उन्होंने कहा कि यह खरीद बहुत थोड़े समय में हुई है। गेहूं की तो केवल 20 दिन में हुई है, जबकि यही विपक्षी नेता कहते थे कि सरकार गेहूं तीन महीनों में भी नहीं खरीद पाएगी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 के दौरान प्रदेश में कुल खाद्यान उत्पादन 181.44 लाख टन हुआ, जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 153.54 लाख टन था। वर्तमान सरकार और पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने किसानों के जोखिम की पूर्ति हेतू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खरीफ 2016 में पूरे प्रदेश में शुरू की गई, जिसके तहत बाजरा, धान, कपास, मक्का, गेंहू, चना, जों, सरसों एवं सूरजमुखी फसलों को कवर किया गया है और अब तक 50.37 लाख किसानों को इस योजना के तहत पंजीकृत किया गया है और 12.09 लाख किसानों से 825.69 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में लिए और 2546.96 करोड़ रूपए बीमा राशि के रूप में दिए जा चुके हैं। इस योजना का भी कांग्रेस ने भरपूर विरोध किया था।
श्री दलाल ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान बीमा योजना राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना, मौसम आधारित फसल बीमा योजना तथा संशोधित राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना के तहत प्रदान किया जाता था, जो कुछ ही ब्लॉकों/ जिलों तक सीमित थी। कांग्रेस शासन में 2005-06 से 2013-14 के दौरान केवल 12.53 लाख किसानों को पंजीकृत किया गया और केवल 4.20 लाख किसानों को इस योजना के तहत मात्र 164.30 करोड़ रूपए का लाभ दिया गया।
उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार ने 2014-15 से 2019-20 के दौरान आपदा प्रबंधन के तहत किसानों को 2764.93 करोड़ रूपए मुआवजा राशि के तौर पर वितरित किए जबकि पिछली सरकार के दौरान 2005-06 से 2013-14 तक मात्र 827.01 करोड़ रूपए मुआवजा राशि दी गई।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के अंदर किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किसान योजना शुरू की गई, जिसके तहत हर वर्ष 6000/- रूपए की राशि किसानों के खाते में ऑनलाइन जमा कराई जा रही है। इस योजना के तहत 16.53 लाख किसानों को 1362.36 करोड़ रूपए किसानों के खातों में डाले जा चुके हैं, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान इस तरह की कोई भी योजना किसानों के हित में नहीं चलाई गई थी। मौजूदा सरकार में किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2019-20 में बिजली पर 6856.02 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई जबकि कांग्रेस के समय में वर्ष 2013-14 के दौरान यह राशि 4853.40 करोड़ रुपये थी।
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए कुल लागत का 85 प्रतिशत अनुदान सभी वर्ग के किसानों को वर्ष 2019 से दिया जा रहा है। वर्ष 2019-20 तक 1.08 लाख हेक्टेयर को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है जो 2014-15 से पहले 66,808 हेक्टेयर था। प्रेस वार्ता के दौरान कृषि मंत्री ने वर्तमान सरकार द्वारा चलाई जा रही बागवानी, फसल खरीद, भू-जल में सुधार करने जैसी अन्य योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी।
रमेश1615वार्ता
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