राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: May 14 2020 5:45PM बिजली वितरण,उत्पादन कंपनियों को कर्ज के बजाए अनुदान दिया जाए:एआईपीईएफजालंधर,14 मई (वार्ता) ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई 90,000 करोड़ रूपये की राशि पावर सेक्टर पैकेज को निजी बिजली उत्पादन घरानों के लिए राहत पैकेज बताते हुए मांग की है कि राज्यों की बिजली वितरण और उत्पादन कंपनियों को केंद्र सरकार कर्ज के बजाये अनुदान दे। फेडरेशन के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि आरईसी और पीएफसी द्वारा यह राशि ऋण के रूप में दी जाएगी। राज्य सरकार गारंटी देने के बाद डिस्कॉम यह राशि निजी जनरेटर को भुगतान करने के लिए उपयोग किया जाएगा। राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां इसका कोई और उपयोग नहीं कर सकेंगी। इससे स्पष्ट है कि यह रिलीफ पैकेज निजी घरानों के लिए है न कि राज्य की सरकारी बिजली कंपनियों के लिए।श्री गुप्ता ने कहा कि निजी बिजली उत्पादन घरों और केंद्रीय क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों का कुल बकाया 94000 करोड़ रूपये है और केंद्र सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपये दिए हैं तो और स्पष्ट हो जाता है कि राज्यों की बिजली कंपनियों के लिए इस पॅकेज में कुछ नहीं है। केंद्र सरकार यह धनराशि राज्य सरकारों द्वारा गारंटी देने पर कर्ज के रूप में दे रही है और यह समझना मुश्किल नहीं है कि लॉकडाउन के चलते भारी नुक्सान उठा रही राज्यों की बिजली वितरण कम्पनियां इस कर्ज को कैसे अदा करेंगी। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि केंद्र और राज्य के सरकारी विभागों पर बिजली वितरण कंपनियों का 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व बकाया है। यदि सरकार अपना बकाया ही दे दे तो राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को केंद्र सरकार से कोई कर्ज लेने की जरूरत नहीं रहेगी।ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि कोविड -19 महामारी के संकट में राज्यों की बिजली कंपनियों पर डाले गए कर्ज को अनुदान में बदले जिससे आने वाली खरीफ की फसल और देश की 70 फीसदी ग्रामीण जनता के हित में बिजली वितरण कम्पनियां सुचारु रूप से कार्य कर सकें। ठाकुर.श्रवण वार्ता