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किसानों को ग़ैर-बासमती की पी.आर. 128 और 129 किस्में रोपायी करने की सलाह

चंडीगढ़, 14 मई (वार्ता) पंजाब कृषि विभाग ने कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशें पर किसानों को ग़ैर-बासमती (परमल) की पी.आर. -128 और पी.आर. -129 किस्में रोपने की सलाह दी है क्योंकि यह किस्म जल्द पकने, कम पानी लेने और पराली को जलाए बिना उचित प्रबंधन की अपनी विलक्षण विशेषताओं के कारण काफ़ी कारगर है।
वित्तायुक्त (विकास) विश्वजीत खन्ना ने आज यहां बताया कि इन दोनों नई किस्मों को मिलिंग इंडस्ट्री के नुमायंदों द्वारा पहले ही मंज़ूरी मिल चुकी है, जो राज्य के किसानों को चावलों की किस्म जारी करने के लिए ज़रूरी है। वर्ष 2019 और 2020 में मिलिंग ट्रायल बड़े स्तर पर करवाए गए थे। बठिंडा, मानसा, संगरूर, बरनाला, मोगा और लुधियाना जिलों के कुछ किसानों द्वारा ये दोनों नयी किस्में अपनाने की उम्मीद है। इन जिलों में कई ट्रायल किए गए हैं और जिनके नतीजे काफ़ी अच्छे रहे हैं।
श्री खन्ना ने बताया कि यह उन्नत किस्में सरकार द्वारा ‘कस्टम मिलिंग पॉलिसी’ के अंतर्गत कच्चे चावलों की कुल चावल की रिकवरी जो कि 67 प्रतिशत निर्धारित की गई है, को पूरा करते हैं और विभिन्न गुणवत्ता मापदण्डों के लिए अन्य किस्मों की तुलना में ज़्यादा स्वीकृत हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इन किस्मों की पूरी कीमत को ध्यान में रखते हुए कहा कि यह किसानों के हित में होगा कि वह पीआर 128 और पीआर 129 को उनकी परमल चावलों की किस्मों में शामिल करें। श्री खन्ना ने उम्मीद जताई कि यह दोनों ग़ैर-बासमती किस्में अनमोल प्राकृतिक संसाधन ‘पानी’ की बचत के साथ-साथ कृषि विभिन्नता को बढ़ावा देने और मौसम के बदलाव और नए कीड़े / बीमारी के ख़तरे के प्रभाव को घटाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी।
कोविड संकट के कारण मजदूरों के अपने राज्यों को चले जाने के उनकी कमी के मद्देनजर धान की रोपाई और पनीरी की बिजाई की तारीख़ पहले ही 10 दिन आगे कर दी गई है। धान की रोपाई का काम 10 मई से ही शुरू हो चुका है और धान की बिजाई का काम 10 जून को शुरू होगा।
श्री खन्ना ने बताया कि पीएयू ने कई व्यापक खोज ट्रायलों के बाद परमल चावल की दो नयी किस्में, पीआर 128 और पीआर 129 विकसित की हैं, जो किस्मों को मंज़ूरी देने वाली प्रांतीय कमेटी द्वारा फरवरी, 2020 में बीजने के लिए पंजाब भर में जारी की गई थीं।
साल 2016 से 2019 तक पीआर 128 और पीआर 129 के फील्ड और लैबोरेटरी टैस्ट किए गए। इन चार सालों के दौरान पूरे ध्यान से 17 खोज ट्रायल लुधियाना, पटियाला, कपूरथला और गुरदासपुर में किए गए। मिलिंग ट्रायल बड़े स्तर पर करवाए गए थे।
शर्मा
वार्ता
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